कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं। बच्चे जन्म के समय ना रोए तो डॉक्टर हैरान हो जाते हैं। बच्चे का जन्म के समय रोना बेहद ही जरुरी होता है। बच्चों को श्वास लेने में भी काफी दिक्कत रहती है। बच्चों के जन्म के समय डॉक्टर का मुस्तैद रहना बेहद जरुरी होता है। 80 प्रतिशत बच्चे आजकल ऑपरेशन से ही पैदा होते हैं। नर्स के हाथ में आने पर बच्चे को सही से साफ़ किया जाता है और स्वसन नली को भी साफ़ किया जाता है।

बच्चे को स्वसन में दिक्कत होने पर पीठ भी काफी थपथपाई जाती है। बच्चे को उल्टा पकड़कर अच्छे से पीठ रगड़ी जाती है। जब तक बच्चे को श्वांस नहीं आता, तब तक पूरा चिकित्सा स्टाफ एक जगह रहता है। बच्चे को श्वांस आने पर बहुत तेज रोने की आवाज आती है। बच्चा नहीं रोए और श्वसन चल रहा है तो पागल होने का डर बना रहता है।

बाहुबली बच्चा

बच्चे में ताकत होती है, लेकिन उसका अंदाजा उसको खुद नहीं होता। बच्चे भारी भरकम चीज को भी उठा लेते हैं। ज्यादा वजन लगता है तो रोने लग जाते हैं। लेकिन छोड़ने का नाम नहीं लेते। ऐसे ही एक नवजात बच्चे ने जन्म के समय ट्रे को ही उठा लिया। डॉक्टर भी हैरान रह गए। एक साथ इतनी देर तक वजन को उठाए रखना किसी बड़े बच्चे की भी बस की बात नहीं होती।