नई दिल्ली : राजस्थान की गहलोत सरकार भी यूपी के सीएम के नक्शे कदम पर चलती नज़र आ रही है। दरअसल राजस्थान में पहली बार किसी आरोपी के मकान को तोड़ने की कवायत की जा रही है। मामला है सीनियर टीचर भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में मास्टरमाइंड भूपेंद्र सारण के अजमेर रोड स्थित मकान का। आपको बतादें सारण पेपर लीक मामले का मुख्य आरोपी है। युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले मास्टरमाइंड के आलीशान मकान में हुए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने की जेडीए ने पूरी तैयारी करली है। सूत्रों की मानें तो इस संपत्ति पर मकर संक्रांति तक बुलडोजर चल सकता है। जेडीए ये तोड़फोड़ बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन और अवैध निर्माण को लेकर करने वाली है। इसके लिए जेडीए की एनफोर्समेंट टीम ने तकनीकी जानकारों से मकान की जांच-पड़ताल कराई जिसमें मकान निर्माण में काफी धांधली पाई गई जिसको लेकर ये निर्णय लिया गाया है।.
राजस्थान की राजधानी जयपुर के अजमेर रोड पर स्थित रजनी विहार कॉलोनी में मकान नंबर 67-C, ये चार मंजिला आलीशान बंगला शिक्षक भर्ती पेपरलीक मामले के प्रमुख आरोपी भूपेन्द्र सारण का है। पेपरलीक मामले में मास्टर माइंड भूपेन्द्र सारण के बंगले में हुए अवैध निर्माण को गिराने के लिए जेडीए ने जो नोटिस दिया है उसमें 72 घंटे की समय सीमा निर्धारित की गई है। और इस समय के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं देने पर जेडीए का बुलडोजर तोड़फोड़ शुरू कर देगा। नोटिस में 12 जनवरी शाम 5 बजे तक जवाब देने के लिए कहा गया है।
इतना ही नहीं सारण के घर का रिकॉर्ड खंगालने पर और भी कई अनियमितता पाई गई है। आरोपी सारण के घर के बाहर जेडीए की टीम को बिजली का बिल भूपेन्द्र सारण के नाम से मिला। इस बिल पर सब्सिडी दी गई है यह भी सवालों के घेरे में है। बिल में भूपेन्द्र सारण को 635 रुपए की सब्सिडी दी गई है। जमीन के कागजात में भी कई खामियां मिली हैं। भूमि के रिकॉर्ड के मुताबिक इस भूमि का 2015 में जेडीए ने बबली पारीक के नाम से पट्टा जारी किया था, जिसे 2017 में बबली पारीक से भूपेन्द्र सारण और गोपाल सारण ने रजिस्ट्री करवा ली।
पेपर लीक मामले पर ताबडतोड़ कार्रवाई करते हुए जेडीए ने आरोपियों द्वारा जयपुर में गुर्जर की थड़ी स्थित अधिगम कोचिंग सेंटर जो 5 मंजिला किराए के मकान में संचालित थी इस इमारत को भी ध्वस्त कर दिया गया है। इस पर सवाल उठने लगे क्योंकि जिस बिल्डिंग में कोचिंग सेंटर संचालित थी उसका मकान मालिक कोई और था और पेपर लीक मामले से उसका कोई लेनादेना नहीं था । पर जेडीए की दलील है कि ये बिल्डिंग भी भवन नियमों का उल्लंघन करके बनाई गई थी।
जेडीए इस कार्रवाई को अवैध निर्माण के खिलाफ की जा रही कर्रवाई बता रहा है, जबकि केवल जयपुर भर नहीं बल्कि राजस्थान के कई शहरों और कस्बों में इस तरह से नियमों को दरकिनार कर मकान बनाए गए हैं।