शादी-विवाह का सीजन शुरू हो चुका है। अगले 23 दिन में देशभर में लगभग 35 लाख शादियों अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में देशभर में बड़ा कारोबार होना सुनिश्चित है। शादी-विवाह में कई ऐसी रस्में होती हैं जिनका लोग लुफ्त तो उठाते हैं लेकिन उनके पीछे के कारण का उन्हें पता नहीं होता है। आपने भी देखा ही बारात चढ़ाते समय दूल्हा घोड़ी पर बैठता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दूल्हा घोड़े पर क्यों नहीं बैठता है। आज हम आपको इसी तथ्य के बारे में यहां जानकारी दे रहें हैं।

पूछा था यह प्रश्न

आपको बता दें कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा पर एक यूजर ने सभी के सामने यह प्रश्न रखा था कि बारात में जाते समय दूल्हा घोड़ी की सवारी ही क्यों करता है घोड़े की क्यों नहीं। इस प्रश्न के जवाब में कई अन्य यूजर्स ने उत्तर दिए हैं। जिनके जवाब हम आपको यहां बता रहें हैं।

यूजर्स ने दिए जवाब

एक यूजर ने लिखा है कि “वैसे तो दूल्हा हाथी पर भी बरात में जा सकता है लेकिन हाथी पर बारात चढ़ाना सभी के बस की बात नहीं है। लेकिन फिर बारात में सिर्फ हाथी ही दिखाई पडेगा अन्य कोई नहीं। असल में बारात के लिए हाथी, घोडा तथा ऊंट का चयन करने के लिए ही कहा गया है क्यों की इन्हें नियंत्रित करना आसान नहीं होता है।”

एक अन्य यूजर ने लिखा है कि जब वर यानि दूल्हा दुल्हन के सामने आता है तो दुल्हन सबसे पहले आंखे खोलकर उसके वाहन को देखती है। क्यों की वर यानि दूल्हा एक नर है इसी कारण उसको घोड़ी पर बैठाते हैं।” एक यूजर ने लिखा है की “घोड़ी चतुर, बुद्धिमान तथा दक्ष होती है। उसको बुद्धिमान तथा स्वस्थ पुरुष ही नियंत्रित कर सकता है। अतः दूल्हे का घोड़ी पर बैठना इस बात का प्रतीक है कि दूल्हा बुद्धिमान तथा स्वस्थ है और यह विवाह के बाद अपने घर की बागडोर अच्छे से सम्हाल सकता है।”

रिपोर्ट्स में बताएं गए अलग अलग कारण

कई रिपोर्ट्स में यह लिखा है कि इस प्रथा के पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। लेकिन मंगल परिणय नामक वेबसाइट का कहना है कि असल में घोड़ी को चंचल माना गया है। जब दूल्हा घोड़ी की सवारी कर दुल्हन को लेने के लिए आता है तो यह इस बात का प्रतीक होता है कि दूल्हे ने अब अपने चंचल व्यवहार को नियंत्रित कर लिया है तथा वह जिम्मेदारी वहन करने लायक हो चुका है। हालांकि इस विषय में कई अन्य अवधारणाएं भी हैं। जिनको लोग अपने अपने अनुसार मानते हैं।