Karni Sena Rally : जयपुर में करनी सेना संस्थापक लोकेन्द्र सिंह कालवी द्वारा हुंकार रैली का आयोजन किया गया। लगभग 10 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई लेकिन मुश्किल से एक हजार का आंकड़ा भी नहीं छू पाए। देखा जाए तो राजपूत समाज सिर्फ एक ही झंडे के निचे दो नामों से जाना जाने लगा है। पहला लोकेन्द्र सिंह कालवी और दूसरा सुखदेव सिंह गोगामेड़ी। सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की रैली में भीड़ देखने को मिलती है वहीं लोकेन्द्र सिंह कालवी की रैली में कुछ गिनती के लोग। आनंदपाल जैसे मुद्दे पर सुखदेव सिंह गोगामेड़ी का वर्चस्व देखने लायक था। गोगामेड़ी ने उसे बखूबी सहेजे रखा है। दोनों ही एक दूसरे पर आरोप – प्रत्यारोप करने से भी परहेज नहीं करते है। कहावत है की एक म्यांन ने दो तलवार नहीं रह सकती वैसे ही वक्त यही बता रहा है की करणी सेना भी इसी कहावत को सत्यार्थ कर रही है। बाहर समाज के लोग करणी सेना को जानते है लेकिन राजस्थान में खासकर सीकर, जयपुर और आसपास के लोग हकीकत से वाकिब है।
Karni Sena Jaipur : हुंकार रैली अगर गोगामेड़ी ने की होती तो शायद दृश्य कुछ और ही होता। क्योंकि कहा जाता है की कालवी सिर्फ चुनाव के समय पर भी सक्रीय भूमिका में रहते है और राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा आयोजन किया जाता है। ऐसे आरोप खुद गोगामेड़ी भी लगा चुके है। ‘समझौता एक्सप्रेस’ से भी पुकारे जा चुके है। राजस्थान में राजपूत समाज में प्रतिष्ठा और एक छत के निचे वाली अगर बात देखनी है तो वो वर्तमान में एक ही नाम ‘गोगामेड़ी’ है। युवा वर्ग सिर्फ गोगामेड़ी से जुड़ा हुआ है। देखा जाए तो गोगामेड़ी पर अभी तक कोई गलत आरोप नहीं लगे हैं और कोई लगे भी है तो उनकी पुष्टि नहीं हुई है। देखा जाए तो समाज में छवि के मामले में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी अभी समाज के खासकर युवा वर्ग के लिए एक मुखौटा है। उनके कहने मात्र से ही युवा वर्ग एक जगह खड़ा हो जाएगा।