भरतपुर लोकसभा चुनाव 2019 राजस्थान
राजस्थान का प्रवेश द्वार और सूरजमल का साम्राज्य जिसकी राजनीती दबंगों के नाम लिखी है। विश्वेन्द्र सिंह जैसे दबंग नेताओं की राजनीती वाला जिला भरतपुर हमेशा चर्चा का विषय रहा है। यहाँ राजनीती में सिर्फ राजपरिवार ही ज्यादातर हिस्सा लेते हैं। यहाँ कुल 7 विधानसभा क्षेत्रों के द्वारा एक लोकसभा सीट का निर्माण होता है। कामां, नगर, डीग-कुम्हेर, भरतपुर, नदबई, वैर और बयाना-रुपवास विधानसभा के मतदाता लोकसभा सांसद का भविष्य लिखते हैं। वर्तमान में 2014 चुनावों में बहादुर सिंह कौली को लोकसभा सदस्य के लिए चुना गया था। Bharatpur Lok Sabha Election 2019 में बहादुर सिंह कौली के सामने इसबार कड़ी चुनौती के तौर पर कांग्रेस बड़ा दांव खेल सकती है। विश्वेन्द्र सिंह भाजपा से दो बार सांसद रह चुके हैं। विश्वेन्द्र सिंह की छवि दबंद होने के साथ ही जनता के बीच अच्छी और कर्मठ कार्यकर्त्ता की भी है। विश्वेन्द्र सिंह वर्तमान में कांग्रेस से विधायक है। बहादुर सिंह कौली को अगर कोई टक्कर दे सकता है तो वो विश्वेन्द्र सिंह ही हो सकते हैं।
अशोक गहलोत का लक्ष्य लोकसभा चुनाव 2019 में जीत
राजस्थान में कांग्रेस के सरकार में आने के साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि इसबार Lok Sabha Election 2019 में आधी के करीबन सीटें भाजपा से छीनी जा सकेंगी। कांग्रेस के पिछले कार्यकालों के कारण और मोदी लहर के चलते भाजपा ने बढ़त बना ली है। Bharatpur Lok Sabha Election 2019 की बात करें तो इसबार भाजपा जीत निकालने में शायद ही कामयाब हों। मोदी लहार का जादू इसबार थोड़ा कम हो गया है। बजट में आयकर राहत से कुछ हद तक मोदी सरकार को भी राहत मिली है। देखा जाए तो हिन्दुस्तान हो या राजस्थान, विकास के नाम पर वोट नहीं पड़ता। राजस्थान में बदलाव होता ही है। इसबार देखा जाए तो शिक्षित युवा इतना बदलाव नहीं लाएंगे, लेकिन किसी भी हद तक 25 सीटें भाजपा की झोली में कांग्रेस नहीं जाने देगी।
Bharatpur Lok Sabha Election 2019 Rajasthan
भरतपुर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो बहादुर सिंह कौली बजबूत दावेदार है उनकी शैक्षणिक योग्यता की बात करें तो दसवीं से कम पढ़े लिखे हैं। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती है SC की सीट होना। यहाँ से पूर्व राजपरिवार से कोई नेता चुनाव लड़ नहीं सकता। आरक्षित सीट होने के कारण यहाँ से सिर्फ संबंधित श्रेणी प्रत्याशी ही चुनावी मैदान में उतारे जाएंगे। देखा जाए तो विश्वेन्द्र सिंह का समर्थन और कांग्रेस का दिग्गज नेता ही यहां से सीट निकाल सकेगा। भरतपुर जिले से भाजपा के पास विधानसभा की सीटें नहीं है कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशी मैदान में साथ उतरते हैं तो लोकसभा सीट निकलना कांग्रेस के लिए चुनौती नहीं होगा। भरतपुर लोकसभा चुनाव 2019 में महागठबंधन द्वारा सीट आवंटन के पश्चात ही तय होगा की कौन प्रत्याशी किसके समर्थन में हैं। अन्यथा भाजपा ध्रुवीकरण का फायदा उठा सकती है।