Mind And Body: देर से शादी व कॅरियर को अधिक महत्त्व देने की वजह से महिलाएं अब अधिक उम्र में फैमिली प्लानिंग के बारे में सोचने लगी हैं। लेकिन 30 वर्ष के बाद महिलाओं की फर्टिलिटी पर असर पडऩे लगता है। इसलिए मां बनने की सही उम्र उनके लिए 30 वर्ष तक मानी गई है। अधिक उम्र में गर्भवती होने और प्रसव के दौरान कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
डाउन सिंड्रोम जैसी बीमारी
बच्चों में डाउन सिंड्रोम जैसे आनुवांशिक विकारों के बारे में सुना होगा। अधिक उम्र में मां बनने वाली महिलाओं के बच्चों में इसकी आशंका अधिक रहती है। उम्र बढऩे के साथ यह आशंका भी बढ़ती जाती है। जैसे 25 वर्ष की उम्र में मां बनने वाली महिलाओं में 1500 मामलों में एक ऐसा मामला हो सकता है तो 40 वर्ष की उम्र में यह अनुपात 1:80 होता है।
मोटापा भी एक समस्या
उम्र बढऩे के साथ महिलाएं मोटापे जैसी समस्या से भी ग्रसित होने लगती हैं। इससे गर्भावस्था के दौरान कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अधिक उम्र में पैल्विक में लचीलापन भी कम होता है
30 वर्ष के बाद मां बनने वाली महिलाओं में सामान्य प्रसव की संभावना भी कम हो जाती है। दरअसल, उम्र बढऩे के साथ महिलाओं में पैल्विक क्षेत्र का लचीलापन कम हो जाता है। इस वजह से सामान्य प्रसव की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं।
गर्भधारण के बाद स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें। इस दौरान वे कई तरह के टेस्ट कराते हैं जो प्रेग्नेंसी व डिलवरी में आने वाली जटिलताओं के बारे में बताते हैं।
तनाव से अपना बचाव करें। नियमित ब्रिस्क वॉकिंग करें। संतुलित आहार लें। एक्सरसाइज जरूर करें ताकि पेल्विक क्षेत्र में लचीलापन आए।
गर्भावस्था में चिकित्सक की देखरेख में ही कोई योग-व्यायाम करें। हल्के व्यायाम ही करें।
की उम्र में मां बनने वाली महिलाओं में 1500 मामलों में से १ में डाउन सिंड्रोम हो सकता है।
बढ़ती उम्र में आनुवांशिक विकार बढऩे की आशंका
25 वर्ष में हर 1500 मामलों में एक
30 वर्ष में हर 700 मामलों में एक
35 वर्ष में हर 300 मामलों में एक
40 वर्ष में हर 80 मामलों में एक
मधुमेह-उच्च रक्तचाप का प्रभाव
अधिक उम्र में गर्भधारण के दौरान मधुमेह और उच्च रक्तचाप की आशंका भी बढ़ जाती है। इसका असर गर्भावस्था और प्रसव दोनों पर पड़ता है।