नई दिल्ली। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से वादा किया था कि आतंकवादियों को करारा जवाब दिया जाएगा। उन्होंने साफ कहा था कि “आतंक की बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिला दिया जाएगा” और इसके लिए सेना को पूरी छूट दी गई थी।

प्रधानमंत्री के इसी संकल्प के तहत 7 मई की रात करीब 1:45 बजे भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया और पाकिस्तान व पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित 9 आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इन हमलों में अब तक 90 से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की खबर है।

लश्कर का गढ़ बना निशाना
सबसे बड़ा हमला लाहौर के पास मुरीदके में हुआ, जहां लश्कर-ए-तैयबा के कम से कम 30 आतंकियों को मार गिराया गया। यह इलाका लश्कर का मुख्यालय है और इसे ‘मरकज-ए-तैयबा’ कहा जाता है। यह जमात-उद-दावा के नाम पर एक चैरिटेबल संस्था के रूप में चलता है, लेकिन असल में यह आतंकवाद की वैचारिक और प्रशिक्षण का केंद्र है।

ऑपरेशन सिंदूर: हथियार और रणनीति
भारत ने इस अभियान में अपनी सैन्य ताकत का भरपूर प्रदर्शन किया। राफेल लड़ाकू विमानों, स्कैल्प क्रूज मिसाइलों, और लोइटरिंग म्यूनिशन ड्रोन जैसे अत्याधुनिक हथियारों का पहली बार इस स्तर पर इस्तेमाल किया गया।

राफेल जेट: फ्रांस से खरीदे गए राफेल विमानों का यह पहला वास्तविक ऑपरेशन था। इनकी लंबी दूरी और सटीक मारक क्षमता ने आतंकी अड्डों को ध्वस्त कर दिया।

स्कैल्प मिसाइलें: राफेल से दागी गई इन क्रूज मिसाइलों की पहुंच करीब 250 किलोमीटर होती है। इन्होंने पाकिस्तान के भीतर गहराई तक घुसकर लक्ष्यों को निशाना बनाया।

लोइटरिंग म्यूनिशन (आत्मघाती ड्रोन): ये ड्रोन दुश्मन के इलाके में उड़ते हुए लक्ष्य को खोजकर खुद को विस्फोट से उड़ा देते हैं। इससे आतंकी शिविरों को बेहद सटीक नुकसान पहुंचाया गया।

पाकिस्तान की भी पुष्टि
पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग DG ISPR ने भी हमलों की पुष्टि की है और बताया कि कोटली, मुरीदके और बहावलपुर में पांच जगहों पर हमले हुए हैं।

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