जापान में शोधकर्ताओं ने कुछ डोनर स्टेम सेल्स से चूहों में किडनी का विकास किया है, जिसके बाद इस बात की इंसानी उम्मीद जगी है कि इस तरह गुर्दे का विकास मानव शरीर में भी किया जा सकता है, जिससे दुनिया में गुर्दा दान करने वालों की कमी की समस्या से निजात मिल सकेगी। नेचर कम्यूनिकेशन जर्नल में प्रकाशित होने वाले इस शोध के नतीजों के मुताबिक, विकसित किए गए नए गुर्दे पर काम करते हुए प्रतीत होते हैं।
किडनी रोगियों को मिलेगी राहत
बस अब इंतजार इस बात का है कि इतना प्रमाणित हो जाए की इसका इस्तेमाल पशुओं के भीतर मानव गुर्दे को विकसित करने में भी किया जा सकता है। गुर्दा रोग से पीड़ित मरीज जब अंतिम अवस्था में हैं, तब उनके लिए गुर्दा प्रत्यारोपण ही एकमात्र अंतिम उम्मीद है, जिससे वे अपनी शेष जिंदगी आसानी से जी सकते हैं। लेकिन बहुत से किसी भी कारण से मरीज गुर्दा प्रत्यारोपण नहीं करवा पाते हैं, क्योंकि दुनिया में बहुत ही कम गुर्दा दानकर्ता है।
जापान में ईजाद हो रही है तकनीक
शोधकर्ता मानव शरीर के अंगों को स्वस्थ अंग के रूप में विकसित करने की विधि तैयार करने की दिशा में बाहरी तौर पर काम कर रहे हैं। इसी विधि से चूहे का अग्नाशय तैयार करने में फ़िलहाल उन्हें सफलता मिली हैं। जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर फिजियोलोजिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं ने जांच का फैसला किया है कि क्या इस विधि का इस्तेमाल मानव किडनी तैयार करने में भी किया जा सकता है। विश्वविद्यालय के मासूमी हिराबायाशी ने कहा, “हमारे नतीजों से इस बात की पुष्टि होती है कि किडनी बनाने में इंटरस्पेशिफिक ब्लास्टोसिस्ट कंप्लीमेंटेशन एक व्यावहारिक और बेहद ही आसान विधि है.”
किस वजह से खराब होती है किडनी
समय पर पेशाब न जाना, रोज 7-8 गिलास से कम पानी पीना, जरुरत से ज्यादा नमक खाना, हाई बीपी के इलाज में कौताही बरतना, शुगर के इलाज में कोताही करना, बहुत ज्यादा मीट और मसाले खाना, ज्यादा मात्रा में पेनकिलर लेना, मचक के शराब पीना, पर्याप्त आराम न करना, सॉफ्ट ड्रिंक्स और सोडा ज्यादा मात्रा में लेना भी प्रमुख कारण है।