खबर राजस्थान के झुंझुनू/खेतड़ी से है। आज हम आपको यहां बनने वाले स्पेशल आचार के बारे में बता रहें हैं। इस आचार को बिना तेल के बनाया जाता है। इसकी डिमांड देश विदेश में हमेशा बनी रहती है। जब कभी भी प्रवासी लोग यहां आते हैं तो अपने साथ में आचार ले जाना कभी नहीं भूलते हैं।
दर्जनों परिवारों को मिला रोजगार
खेतड़ी के आचार के बारे में यह कहा जाता है कि जिसने भी एक बार यह आचार खा लिया फिर उसको कहीं और के आचार का स्वाद नहीं आता है। यही कारण है कि इस कस्वे में आज दर्जनों परिवार नींबू और मिर्च के आचार का व्यापार कर रहें हैं।
वर्षभर तक ऐसे रखा जाता है सुरक्षित
आपको बता दें कि यहां के नींबू-मिर्च के आचार की विशेषता यह है कि इसमें तेल नहीं डाला जाता है और न ही किसी अन्य प्रकार के केमिकल का उपयोग किय जाता है। यह आचार मिट्टी के मटकों में वर्षभर सुरक्षित रहता है। महेन्द्र जगदीश प्रसाद गुप्ता बताते हैं कि 145 साल पहले उनके परदादा शिवसहाय गुप्ता ने इस कार्य को शुरू किया था। जो आज चौथी पीढ़ी तक बरक़रार है।
राज्य सरकार से नहीं मिल रहा प्रोत्साहन
चार पीढ़ियों से आचार का व्यापार कर रहें सुधीर गुप्ता ने बताया है कि उनके दादा परशुराम गुप्ता उनके दादा गिन्नी लाल गुप्ता तथा पिता बाबू लाल गुप्ता आज तक इस व्यापार से जुड़े हुए हैं। लेकिन राज्य सरकार से इस कार्य में किसी प्रकार का प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। बाजार में अब डिब्बा बंद आचार भी आ चुका है। मूल्य की तुलना में अब उनका आचार काफी महंगा पड़ता है। इस तरह अब तक आचार के व्यवसाय में लगे लोग अब अन्य व्यापार को अपनाने लगे हैं।
