नई दिल्ली: वैदिक ज्‍योतिष में शनि को न्‍याय का देवता कहा गया है। शनि इंसान के कर्मांनुसार उन्हें फल देते हैं इसलिए शनि की टेढ़ी नजर किसी व्‍यक्ति पर पडती है तो उसे वो अर्श से फर्श पर लाने की ताकत रखता है। इसी के चलते लोग शनि की दशा बिगड़ते ही पूजा पाठ करके उन्हें शांत करने की कोशिश करते है। ज्‍योतिष के अनुसार शनि की महादशा 19 साल तक चलती है। यदि आपकी कुंडली में शनि की दृष्टि सही है तो आपकी जिंदगी के तारे रातों रात बुंलद हो सकते है। आपका राजसी ठाठ के योग बन जाते है उसे पद-प्रतिष्‍ठा, मान-सम्‍मान, पैसा सब कुछ मिलता है। वहीं कुंडली में शनि की महादशा बिगड़ी रहती है तो यह महादशा जातक की जिंदगी बिगाड़ देता है। आइए जानते हैं शनि की महादशा पर पड़ने वाले प्रभाव कैसे होते है

यदि शनि आपकी कुंडली के पहले स्थान में गोचर कर रहा है तो ऐसे में शनि का आपके पहले भाव में बैठना आपकी जिंदगी में राजयोग के बराबर है। शनि आपके करियर और रिलेशनशिप को मजूबत बनाए रखने में मदद करता है। वही यदि शनि दूसरे भाव में हैं तो आप अपने काम के प्रति अडिग रहेगें, आप में सही फैसले लेने की क्षमता रहेगी। इसके अलावा अगर शनि आपकी कुंडली के तीसरे भाव में बैठां होता है, तो लाइफ में पॉजिटिव बदलाव आएंगे, चौथे भाव में बैठे शनि आपको धन संपत्ति देगा। पांचवे भाव में शनि रिलेशनशिप में चैलेंज से बाहर निकालकर आपके रिलेशनशिप में लाभ दिलाएगा।

शनि की महादशा बिगड़ते ही जातक को उन्हेने मनाने के लिए या शांत करने के लिए शनि के मंत्रों का जाप करने के साथ, शनि स्रोत्र का पाठ, पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाना चाहिए। हनुमान जी और शिव जी की पूजा करना भी शुभ माना गया है।

उस दौरान किसी गरीब को नही सताना चाहिए,असहायों की मदद करना, अच्छे कार्य करने से  ही शनिदेव खुश करते हैं। शनि मातृभक्त थे जो लोग माता पिता की सेवा जीजान से करते है सनि पर उनकी कृपा बना रहती है।

शनिवार के दिन काली चीजों का दान जैसा लोहा, काले तिल उड़द की दाल,जैसी चीजों का दान करना शुभ माना जाता हैं। इसके अलावा सरसों के तेल में अपने परछाई देखकर इसे भी दान किया जाता है।हनुमान चालीसा का पाठ भी शनिसाढ़ेसाती और ढैया में विशेषफलदायी होता है।

इसके अलावा काल भैरव की पूजा भी इस काल में फलदायी मानी जाती है।