अक्सर लोग यह कहते हुए सुने जा सकते है कि हमारे घर में कलह होती है। कभी किसी बात को लेकर तो कभी किसी बात को लेकर परिवार के सदस्य आपस में झगड़ते रहते है। संभवतः इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया होगा कि आखिर परिवार में कलह होने के पीछे मुख्य कारण क्या है। ज्योतिष शास्त्र यह कहता है कि कलह होने के पीछे एक कारण ग्रहों का दोष भी हो सकता है लेकिन मुख्य कारण होता है नारी का असम्मान।

ज्योतिष के विद्वान यह दावा करते है कि जिस घर में नारी का सम्मान नहीं होता है वहां निश्चित ही कलह होती है। इसलिए परिवार की नारियों का सम्मान जरूर किया जाना चाहिए। हमारे शास्त्रों में नारी का महत्व बताया गया है और यह भी कहा गया है कि नारी का सम्मान करना अनिवार्य है। इसलिए घर मंे चाहे पत्नी हो या फिर माता या फिर बहन ही क्यों न हो हमें उनका सम्मान करना चाहिए।

सिर्फ कहने भर से नहीं होगा

हम नारी को घर की लक्ष्मी का दर्जा देते है। लेकिन यह अमल में बहुत कम लाया जाता है और परिवार में कई बार जाने अनजाने में महिलाओं का अपमान होता ही है। यही कारण होता है कि घर में लक्ष्मी रूठी रहती है अर्थात तंगहाली बनी रहती है और हम अपने को कोसते रहते है कि पता नहीं हमारा भाग्य साथ क्यों नहीं देता। इसलिए नारी का सम्मान करों ताकि घर में लक्ष्मी स्थाई रूप से बनी रहे।

नारी के जीवन और उनके सम्मान पर श्लोक

जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी। अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:।

जीवन के संघर्ष और रोज की मुश्किलों का सामना करते करते आदमी कठोर होने लगता है तब उसे निर्मल बनाने वाली भी एक लड़की ही होती है और वो है उसकी बेटी। और जब आदमी की जीवन यात्रा खत्म होती है तब फिर उसका अंतिम मिलन होता है मातृभूमि से। हर महिला को सम्मान दिया जाना चाहिए। जो हर पल आपके साथ किसी न किसी रूप में उपस्थित है। वहां देवताओं का वास नहीं होता।

हर धर्म में महिला शक्‍त‍ि को सर्वोच्‍च स्‍थान द‍िया गया है। इस फेर में यहां तक कहा जाता है कि जहां नारी की पूजा नहीं होती वहां देवताओं का वास नहीं होता। भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है- ‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात्, जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं। महाभारत में कहा गया है कि जिस कुल में नारियों की उपेक्षा भाव से देखा जाता है उस कुल का सर्वनाश हो जाता है। शतपथ ब्राह्मण में कहा गया है कि नारी नर की आत्मा का आधा भाग है। नारी के बिना नर का जीवन अधूरा है इस अधूरेपन को दूर करने और संसार को आगे चलाने के लिए नारी का होना जरूरी है।