होली पूरी तरह से रंगों का त्यौहार है। बुराई को मिटाकर फिर से भाईचारा कायम करने का अवसर भी इस दिन होता है। होली और दिवाली ऐसे त्योंहार है, जिस दिन सालों से बिगड़े संबंध भी बन जाते हैं। दिवाली पर अपनों से बड़ों से मिलना और आशीर्वाद लेना एक परंपरा है। होली भी ठीक ऐसे ही बड़ों का आशीर्वाद लेने की परंपरा है। होली के दूसरे दिन धुलंडी होती है। इस दिन रंगों के बहाने से गीले शिकवे दूर किए जाते हैं। एक दूसरे को रंग लगाकर गले लगाया जाता है।

होलिका दहन के साथ ही घर पर पूजा अर्चना की जाती है। होलिका की जलती हुई कंडे की राख से कई दिन और पूजा की जाती है। होलिका दहन के बाद से राजस्थान में गणगौर का त्योंहार शुरू हो जाता है। 16 दिन गणगौर का पूजन किया जाता है।

दोस्तों की होली

दोस्तों की होली में रंग लगाने के आलावा भी कई तरह की मस्ती होती है। हर बार एक नया चलन लोगों में फेमस होता है। फाग होने के साथ ही नाच और गाने का भी चलन आया है। 2 साल पहले धुलंडी पर दोस्त एक दूसरे के कपडे तक फाड़ देते थे। बिना शर्ट के ही रंग लगाकर बाजार में घूमते दिख जाते थे। अब ट्रेंड बदल गया है। डीजे के साथ नाचते गाते अपने दोस्तों के घर जाकर रंग लगाना चलन में आ गया है।

देवर भाभी की होली

नई नवेली बहु की पहली होली बहुत ही ख़ास होती है। इस दिन देवर को भाभी भी रंग लगाती है। मौका पड़ने पर देवर भी भाभी पर भारी पड़ जाता है। राजस्थान और हरियाणा में यह और भी ज्यादा ख़ास होती है। यहां होली पर देवर और भाभी मान मर्यादा को ताक पर रख देते हैं। ऐसी होली आजकल बहुत कम देखने को मिलती है। लेकिन समय के साथ बदलाव आना भी जरुरी है।

जीजा साली की होली

जीजा और साली की होली तो लगभग सभी जगह पर होती है। इसमें मान मर्यादा का ख्याल तक नहीं रखते हैं। रंग लगाने से लेकर मिठाइयां खाने तक में मस्ती चलती है। खाने में कुछ भी मिलाकर जीजाजी को खिला दिया जाता है। कुछ व्यंजनों में रंग मिला दिया जाता है। इससे खाने को चबाते समय मुंह से रंग निकलता रहता है। आज हम भी आपको ऐसे ही वीडियो भी दिखा रहे हैं।

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