Khatu shyam Baba: श्री श्याम प्रभु का मेला बहुत से सुखद संपन्न हो चुका है। श्रद्धालु अभी भी दर्शन कर रहे हैं और आनंद की अनुभूति कर रहे हैं। महाभारत के समय से ही बर्बरीक को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं। बीआर चोपड़ा की महाभारत में सभी को कुछ हद तक उस समय की सभी कथाओं को पर्दे पर उतारा गया। भीम पुत्र कठोत्कच जितने बलवान थे, उससे कहीं अधिक बर्बरीक थे। पीढ़ी दर पीढ़ी शक्तियां बढ़ती ही गई। अपने दादा भीम को भी बल में मात देने वाले बर्बरीक के पास तीन बाण थे। वे ऐसे बाण थे, जिनका सामना कोई नहीं कर सकता। देखा जाए तो तीन बाण अपना काम करने के बाद फिर से तरकश में आ भी जाते हैं।

कृष्ण से भेंट

बर्बरीक जब माँ का आशीर्वाद लेकर आये तो वे कमजोर पक्ष की तरफ से लड़ने वाले थे। बर्बरीक के पास दिव्यदृष्टि भी थी, तरह युद्ध देखने के लिए दी गई थी। कमजोर पक्ष वाले सवाल पर वासुदेव श्री कृष्ण की बैचेनी बढ़ती गई। श्रीकृष्ण ने बर्बरीक के बाणों का परीक्षण लेना चाहा। जब बर्बरीक ने परीक्षण के तौर पर पूरे पेड़ के पत्तों को एक ही बाण में रेखांकित किया तो कृष्ण को अहसास नहीं हुआ। लेकिन जैसे दूसरे बाण से भेदन किया गया तो कृष्ण के पैर के नीचे दबा हुआ पता भी टारगेट हो चुका था। श्रीकृष्ण के पैर से रक्त निकलने पर बर्बरीक से क्षमा भी मांगी, लेकिन श्रीकृष्ण को तो कुछ और ही मंजूर था।

श्रीकृष्ण का आशीर्वाद

श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को महाभारत देखने के लिए विशेष जगह दी। बर्बरीक का धड़ सिर से अलग कर दिया गया। बर्बरीक को श्रीकृष्ण ने यह भी आशीर्वाद दिया कि आप कलयुग में मेरे प्यारे नाम से विख्यात होंगे। मेरे नाम के साथ लोग आपकी पूजा करेंगे। खाटू श्याम के भक्त आज पूरी दुनिया में हैं। दर्शन करने वालों की संख्या देखें तो मेले में 40 लाख लोग दर्शन कर लेते हैं। खाटू श्याम जी का मेला 2 मार्च को ही संपन्न हुआ है। यह राजस्थान के सीकर जिले में खाटू धाम में आयोजित होता है। श्री श्याम प्रभु के दर्शन करने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है।