Tulsi Chalisa: अगर आप हिन्दू धर्म के हैं तो आपको पता होगा की तुलसी के पौधे की कितनी ज्यादा मान्यता है. कहते है तुलसी पौधे में लक्ष्मी जी का वास होता है. जो लोग तुलसी के पौधे की रोज पूजा-अर्चना करने करते है उनके घर में सुख-समृद्धि और शांति आती हैं साथ ही अगर आप आर्थिक रूप से परेशान हैं तो ये खबर आपके बहुत काम आ सकती है. चलिए आपको बताते है की आपको तुलसी चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए और इससे क्या क्या लाभ होते है.
तुलसी चालीसा पढ़ने से होने वाले फायदे
आपकी जानकारी के लिए बता दे ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से तुलसी चालीसा का पाठ करने से जातक के सभी रोग-दोष दूर होते हैं.
यही नहीं अगर किसी जातक की कुंडली में नौ ग्रह कमजोर हैं, तो तुलसी चालीसा के नियमित पाठ से लाभ होता है.
इसके साथ ही अगर आप में से किसी जातक के विवाह में बाधा आ रही है, तो उस इंसान को तुलसी चालीसा के पाठ करना चाहिए जिससे आपके सभी कष्ट दूर होंगे और विवाह के योग बनेंगे.
आप में से जिन लोगों के पास पैसे की कमी है उन्हें तुलसी तुलसी चालीसा पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती.
पढ़ें ये तुलसी चालीसा
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।
विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
