नई दिल्ली। देश दुनिया का सबसे जानामाना टाटा ग्रुप इन दिनों पश्चिम बंगाल से मिली बड़ी जीत को लेकर चर्चा में बना हुआ है। जिसकी जानकारी टाटा मोटर्स की तरफ से सोशल मीडिया के जरिए दी गई। बताया जा रहा है कि लंबे समय से चल रहा  सिंगूर जमीनी विवाद अब टाटा के लिए जीत की सौगात लेकर आया है। अब ममता बनर्जी सरकार ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स को 766 करोड़ रुपये का हर्जाना देना पड़ेगा।

Nano प्लांट को लेकर था विवाद

दरअसल इस विवाद का कारण पश्चिम बंगाल में सिंगूर में टाटा मोटर्स की जमीन का था। जिसे टाटा  नैनो प्लांट (Nano Plant) को ममता बनर्जी से पहले की वामपंथी सरकार द्वारा दी गई अनुमति से मिला था। वामपंथी सरकार द्वारा मिली  इस परमिशन के तहत बंगाल की इस जमीन पर रतन टाटा अपना ड्रीम प्रोजेक्ट (Ratan Tata) नैनो के प्रोडक्शन के लिए कारखाना स्थापित करना चाह रहे थे। लेकिन ममता बनर्जी की सरकार ने आते ही इस प्रोजेक्ट पर पानी फेर दिया।

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की गद्दी संभालते ही एक कानून बनाकर सिंगूर की करीब 1000 एकड़ जमीन उन 13 हजार किसानों को वापस लौटाने का आदेश जारी कर दिया जिसे खुद टाटा मोटर्स ने अपना नैनो प्लांट लगाने के लिए खरीदी थी। लगातार हो रहे विरोध के बाद Tata Motors को अपना नैनो प्लांट पश्चिम बंगाल से हटाकर गुजरात (Gujarata) में शिफ्ट करना पड़ा।

Tata Motors ने दी जीत की जानकारी

टाटा मोटर्स ने इस प्रोजेक्ट में हुए अपने नुकसान की भरपाई के लिए पश्चिम बंगाल के उद्योग, वाणिज्य और उद्यम विभाग की प्रमुख नोडल एजेंसी WBIDC से मुआवजे के जरिए दावा पेश कर दिया था। जिसका फैसला सोमवार को टाटा मोटर्स के पक्ष में आया है। इस मामले में टाटा मोटर्स को मिली बड़ी जीत की जानकारी सोशल मीडिया के जरिए टाटा मोटर्स ने देते हुए कहा -कि तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण ने Tata Motors Ltd के पक्ष में अपना फैसला सुनाया है।

इस मामले में अब टाटा मोटर्स प्रतिवादी ममता बनर्जी सरकार के अधीन पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम से 765.78 करोड़ रुपये की राशि वसूलने की हकदार है. इसमें 1 सितंबर 2016 से WBIDC से वास्तविक वसूली तक 11% प्रति वर्ष की दर से ब्याज भी शामिल है