Sunday, December 28, 2025
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आलू की ये top किस्में कुछ दिनों में बना देगी मालामाल

हमारे देश में चावल, गेहूं और गन्ने के बाद आलू की खेती सबसे ज्यादा होती है, और इस समय आलू की खुदाई का मौसम चल रहा है। तो वहीं हमारे देश के कई इलाकों में पूरे साल आलू की पैदावार होती रहती है। लेकिन यदि आप भी आलू की खेती कर रहे हैं और इससे अपनी आमदनी को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको आलू की कुछ खास किस्मों की खेती करनी चाहिए, जिसकी पैदावर ज्यादा होती है।

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आलू में 80 से 82 प्रतिशत तक पानी और 14 प्रतिशत स्टार्च पाया जाता है। हमारे देश में आलू एक ऐसी सब्ज़ी है जो बहुत ज्यादा खाई जाती है। आप इसको कितने भी दिनों तक स्टोर करके रख सकते हैं और तरह-तरह के व्यंजन बना सकते हैं। इसीलिए ही आलू को सब्ज़ियों का राजा कहा जाता है।

आलू के परांठे से लेकर आलू के चिप्स और कई तरह की सब्ज़ियां बनाई जाती हैं जो हर किसी को पसंद भी आती हैं। इसलिए आज हम आपको आलू की उन्नत किस्मों के बारे में बताने जा रहे हैं।

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कुफरी चंद्रमुखी

इस किस्म के आलू के पौधे का तना लाल व भूरे रंग के धब्बे के साथ हरा होता है। इसकी फसल को तैयार होने में लगभग 80 से 90 दिनों का समय लगता है। प्रति हेक्टेयर इस आलू की पैदावार 200 से 250 क्विंटल होती है, तो वहीं उत्तर भारत के मैदानी और पठारी इलाके में इस किस्म के आलू खेती के लिए अच्छी मानी जाती है।

कुफरी गंगा

इस किस्म के आलू की कम समय में अधिक पैदावार देती है, और प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 250 से 300 क्विंटल होती है। इसकी फसल तो तैयार होने में कम से कम 75 से 80 दिन लगते हैं, और उत्तर भारत के मैदानी इलाके इसकी खेती के लिए अच्छे माने जाते हैं।

कुफरी अलंकार

इस किस्म की आलू की उन्नत होती है जो प्रति हेक्टेयर 200 से 250 क्विंटल तक उपज देती है। इस किस्म के आलू की फसल 70 दिनों में तैयार हो जाती है, और इसकी अच्छी पैदावार उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में होती है।

कुफरी नीलकंठ

इस किस्म की आलू एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर और बेहतरीन किस्म की होती है, और इसकी उत्पादन क्षमता अन्य किस्मों से अधिक होती है। इस किस्म के आलू की फसल 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर इसकी उत्पादन क्षमता 350-400 क्विंटल होती है और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए यह किस्म काफी अच्छी होती है।

कुफरी ज्योति

इस किस्म की आलू बेहतरीन किस्मों में आती है, और यह किस्म पहाड़ी, मैदानी और पठारी इलाकों के लिए उपयुक्त होती है। इस आलू की फसल को तैयार होने में 80 से 150 दिनों में हो जाती है, तो वहीं मैदानी इलाकों में ये फसल जल्दी तैयार हो जाती है।

कुफरी सिंदूरी

ये आलू की उन्नत किस्म है जो कि पाले को सहन कर सकती है। इसलिए इस किस्म के आलू की खेती मैदानी और पाहड़ी इलाकों में हो सकती है। इस किस्म के आलू की फसल 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर इसकी पैदावार 300 से 400 क्विंटल तक होती है।

कुफरी देवा

यह किस्म के आलू की खेती भी मैदानी और पहाड़ी इलाकों के लिए उपयुक्त होती है। उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र और मध्यवर्ती मैदानों में भी इसकी अच्छी खेती हो जाती है। इस आलू की किस्म की फसल 120 से 125 दिनों में तैयार होती है और प्रति हेक्टेयर 300 से 400 क्विंटल पैदवार होती है।

कुफरी लालिमा

यह भी कम समय में अधिक पैदावार देने वाली उन्नत किस्म की आलू है जो कि 90 से 100 दिनों में तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर इस आलू की पैदावार 200-250 क्विंटल है, और यह किस्म उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए अच्छी होती है।

कुफरी स्वर्ण

इस किस्म के आलू की खेती दक्षिण भारत के पहाड़ी इलाके में अच्छी होती है। इसकी फसल को तैयार होने में करीब 110 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 300 क्विंटल पैदावार होती है।

 कुफरी बहार

इस किस्म के आलू की खेती उत्तरी भारत के मैदानी इलाकों के लिए अच्छी मानी जाती है। यह 90 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है और इसी में कुछ ऐसी किस्में हैं जो कि 100 से 135 दिनों में तैयार होती है। इसकी पैदावार प्रति हेक्टेयर करीब 200-250 क्विंटल होती है।

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Anjali Kumari
Anjali Kumarihttps://www.tazahindisamachar.com/
12वीं पास करने के बाद से ही एक अलग पहचान बनाने जूनून सवार हुआ। इसके बाद जर्नलिज्म की राह चुनना ही बेहतर विकल्प लगा। जर्नलिज्म की पढ़ाई Isomes से करने के बाद News24 से इंटर्न किया। 2022 में एक अन्य डिजिटल प्लेटफार्म पर काम का अनुभव मुझे tazahindisamachar.com पर ले आया। यहां मैं सभी बीट पर पाठकों को ध्यान में रखते हुए स्टोरी कवर कर रही हूँ। मेरा हमेशा से प्रयास रहा है कि में लेटेस्ट अपडेट और रिसर्च स्टोरी अपने पाठकों तक पहुंचाऊं।
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