भारत एक अध्यात्मिक देश है. यहां पर अनेकानेक मंदिर है. हर मंदिर के पीछे एक ना एक इतिहास जुड़ा हुआ है. कुछ मंदिर सालों साल पुराने हैं.जो आज भी सही स्थिति में है. कुछ मंदिर रहस्यमई गुफाओं के अंदर भी है तो कुछ मंदिर पहाड़ों के बीच में. आज इस लेख में हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि इसके अंदर एक छुपा हुआ है.
यह मंदिर भारत में उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ में स्थित है. यह एक शिव मंदिर है. इस मंदिर को पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर के नाम से जाना जाता है. कहां जाता है कि इस मंदिर में दुनिया के खत्म होने का रहस्य छिपा हुआ है. आज तक ना तो कोई इस रहस्य को खोल पाया है और ना ही इसको लेकर कोई पुख्ता सबूत मिल पाए हैं.
पाताल भुवनेश्वर मंदिर के बारे में जानकारी
पिथौरागढ़ में स्थित ये मंदिर गुफा के अंदर है. इस मंदिर को लेकर बहुत सारी मान्यताएं भी है. इस मंदिर में स्थित भगवान शिव के दर्शन करने के लिए एक गुफा के अंदर जाना पड़ता है. यह गुफा समुद्र तल से लगभग 90 फीट गहरी है. इस गुफा का प्रवेश द्वार 160 मीटर लंबा है. इस मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी है कि इस मंदिर में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है. जोकि अपने आप में एक अनोखा रहस्य है.
इस गुफा में जाने के लिए एक पतली सुरंग से होकर गुजरना पड़ता है. इस पतली सुरंग में चट्टानों की- संरचना और नकाशीदार अलग-अलग देवी-देवताओं की छवियां बनी हुई है. इस सुरंग में राजा अधिशेष की कलाकृतियां भी बनी हुई है. अभी से नागों के राजा थे.
पौराणिक कथाओं और मान्यताओ के अनुसार इस मंदिर में चार द्वार है. हिंदू द्वारो का नाम क्रमश: – धर्म द्वार, पाप द्वार,मोक्ष द्वार और रण द्वार है. इन द्वारों को लेकर भी एक मान्यता है कि जब रावण की मृत्यु हुई थी तब यहां स्थित पाप द्वार बंद हो गया था. इसके बाद एक ओर द्वार महाभारत युद्ध के बाद बंद हो गया था. जिसका नाम रण द्वार है.
पाताल भुवनेश्वर मंदिर की खोज
इस मंदिर की खोज के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है. फिर भी मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की गुफ़ा कि खोज राजा ऋतुपर्ण ने त्रेता युग में की थी. इसके बाद कहां जाता है कि पांडवों ने इस गुफा की दोबारा से खोज की थी. इसके अतिरिक्त एक मान्यता और है कि इस गुफा की खोज 819 ईस्वी मे आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी और आदि गुरु शंकराचार्य ने ही इस गुफा की जानकारी वहां के राजा को दी थी. इसके बाद वहां के राजा ने इस मंदिर में पूजा करने के लिए एक पुजारी को नियुक्त कर दिया था. यह पुजारी भंडारी परिवार से था. तब से लेकर आज तक यह भंडारी परिवार ही इस मंदिर की पूजा अर्चना करते हैं. इस गुफा मंदिर की खोज के बारे में अलग-अलग मान्यताएं और संशय है.
पाताल भुवनेश्वर मंदिर की खासियत
इस मंदिर की बहुत सारी खूबियां भी है. 4 द्वारों के अतिरिक्त इस मंदिर में 4 खंबे भी है. इन 4 खंभों को चार युगों के नाम से माना जाता है. इन खंभों का नाम क्रमश: सतयुग त्रेता युग, द्वापर युग और कल युग है. इन खंभों में से 3 खंबे तो समान है, लेकिन कलयुग के खंबे की लंबाई अन्य खंभों के अपेक्षा में ज्यादा है. कहां जाता है और देखा जा रहा है कि इस गुफा में स्थित शिवलिंग का आकार दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. शिवलिंग की इस बढ़ती हुई आकार को लेकर यह मान्यता है कि जिस दिन यह शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा उस दिन दुनिया का खात्मा हो जाएगा. इस मान्यता को लेकर अभी तक कुछ भी खुलासा नहीं हुआ है. कुछ लोग इसको एक अफवाह भी बताते हैं. कुछ लोग इसको एक मनगढ़ कहानी बताते हैं. इस कहानी में कितनी सच्चाई है इस बारे में अभी तक कुछ भी बताना मुश्किल है.