सांप और नेवले की लड़ाई आपने देखी ही होगी या यदि नहीं देखी होगी तो आपने कम से कम इनकी लगाई के बारे में सुना जरूर होगा। ये दोनों जहां कभी एक दूसरे को देख लेते हैं वहीं लड़ाई करना शुरू कर देते हैं। इनकी लड़ाई बेहद भयंकर होती है।

इसी कारण जब कभी दो लोग आपस में झगड़ते हैंतो उन्हें सांप और नेवले की उपमा दी जाती है। लेकिन क्या अपने कभी सोचा है कि इस लड़ाई को हमेशा नेवला कैसे जीत लेता है। उस पर सांप के जहर का प्रभाव क्यों नहीं पड़ता है। इन दोनों की लड़ाई के पीछे का असल कारण आखिर क्या है। आज हम आपको इसी बारे में बता रहें हैं।

यह था सवाल

सोशल मीडिया प्लेटफार्म कोरा पर एक व्यक्ति ने इसी से सम्बंधित एक सवाल को पूछा था। जिसका जवाब सॉरा यूजर्स ने दिया है। असल सवाल यह था की यदि सांप और नेवले की लड़ाई होती है तो कौन जीतेगा। इसका जवाब कई यूजर्स ने दिया है।

कई लोगों लिखा है जवाब

कोरा यूजर उमेश कुमार ने इस सवाल का जवाब देते हुए लिखा है कि “सांप और नेवले की लड़ाई आपने भी देखी होगी. इस लड़ाई में कभी सांप का पलड़ा भारी होता है कभी नेवले का, इस दौरान दोनों ही लहू लुहान हो जाते है. ज्यादातर मामलों में नेवला सांप को मार देता है और जीत अधिकतर नेवले की ही होती है. सांप और नेवला एक दूसरे के जानी दुश्मन होते हैं और जब भी ये एक दूसरे के सामने होते हैं तो दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं।” इस प्रकार के ही जावा कई अन्य यूजर ने दिए हैं।

नेवले पर क्यों नहीं होता सांप के जहर का प्रभाव

इस बारे में फॉरेस्ट वाइल्डलाइफ वेबसाइट बताती है की नेवले और सांप की दुश्मनी प्राकृतिक होती है। असल में नेवला सांप को अपने भोजन के रूप में देखता है। लेकिन देखने वाली एक बात यह भी है नेवला कभी पहले आक्रमक नहीं होता है बल्कि सांप ही अपनी या अपने बच्चों की जान के बचाव में आक्रमक होता है।

आपको जानकारी दे दने की इंडियन ग्रे मॉन्गूस को सबसे ज्यादा स्नेक किलर माना जाता है। नेवले के शरीर में एसिटाइलकोलिन होता है जो की एक न्यूरोट्रासमीटर होता है। यह नेवले के दिमाग में होता है तथा सांप के जहर के प्रभाव को कम कर देता है। इसी कारण सांप के काटने से नेवले की मौत नहीं होती है।