Health News: अब लोगों को हैल्थ की अहमियत समझ आने लगी है लेकिन फिर भी कुछ ऐसे गैप्स हैं जो एक उम्र के बाद असर दिखाएंगे ही। यह हमारी शरीर के साथ बाय डिफॉल्ट निर्धारित है। तो क्या इसे बदला जा सकता है। क्या सबके लिए बदलना संभव होगा, यह तो मैं नहीं बता पाऊंगा। लेकिन स्वयं के अनुभवों से इतना जरूर कह सकता हूं कि सेहत को लेकर जिस दिन से नियमित रूप से थोड़ा बहुत भी करना शुरू करते हैं तो उसका फायदा जरूर मिलता है। फायदा कितना व कैसे होगा, यह आपके इसे अपने पर लागू करने के तरीके पर निर्भर करता है। मुझे मिले फायदे की वजह भी मेरे तरीके हैं।

तुम्हारे लिए तो चीजें वही रहेंगी जैसा तुम कर रहे हो। हो सकता है कुछ लोग या कुछ गिने चुने लोग ही इसपर ध्यान दें। चाहे एक व्यक्ति ध्यान दे या हजार। मेरे लिए खुशी, संतुष्टि, अनुभूति का स्तर समान होगा। यही वो पैमाना है जो मेरी सेहत साधना को उन लोगों से अलग करता है जिसमें मैं स्वयं की सेहत साधना को हैल्थ, वेलनेस, फिटनेस, स्प्रिचुअलिटी के बाजार से पृथक रखकर बताता हूं। मेरा उद्देश्य आपसे आर्थिक लाभ नहीं है। समय के साथ आर्थिक लाभ स्वंय होगा। इसके लिए मुझे उन तौर तरीकों को सहारा नहीं लेना जिससे मैं आपको अपने फायदे के लिए कुछ बेचूं या कोई प्रोडक्ट खरीदने के लिए कहूं जिसमें मेरा कोई कमीशन या लेन-देन का गणित छुपा हो। मेरा उद्देश्य केवल हैल्थ अवेयरनेस है। और केवल वही अनुभव और चीजें जो मैं स्वंय पर लागू करता हूं या जिनके सुरक्षित होने के प्रति मैं आश्वस्त हूं।

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हाल के दिनों के घटनाक्रम में यूं आपको कोई असामान्य बात नहीं लगेगी लेकिन सेलेब्स, पत्रकारों और आम लोगों की मौतों का पैटर्न मेरे आभासों, मेरे अनुमानों, निष्कर्षों, विश्लेषण के आसपास हैं। यह हमारे शरीर के जल्दी जवाब देने के संकेत हैं। ऐसे मामलों में कोई न कोई कारण होता है जो इन सब मौतों में रहा। कोई बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या। यह तो रिपोर्टेड मामले हैं और मशहूर लोग थे इसलिए हमें पता चल गया। लेकिन अनरिपोर्टेड मामलों की तो गिनती ही नहीं है। हाल के दिनों में अचानक हार्ट अटैक के वीडियो देखने के बाद आपके मन में यह सवाल उठा होगा। आपने इसे कोविड और वैक्सीन से जोड़कर खुद को समझा लिया होगा। लेकिन यह पूरी वजह नहीं। यह मूल वजह का एक पक्ष है। मूल वजह की तो कोई बात ही नहीं कर रहा। कोविड और वैक्सीन के साइड इफेक्ट बताना उस वास्तविक कारण से दूर भागने जैसा है जो हमें इन मौतों से या इस तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से बचा सकता है।

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हमारी औसत आयु बढ़ी है लेकिन जिंदगी उससे 5 से 10 साल पहले क्यों साथ छोड़ रही है। लगभग 150 करोड़ आबादी के देश में यह चिंता की बात नहीं हो क्योंकि इतनी जनसंख्या होगी तो हजारों लोग जन्म लेंगे, हजारों की मौत भी होगी। लेकिन यह उन लोगों के लिए तो जीवनभर का दुख हो जाता है जिनके परिवार में मौत हुई है। परिवार बेसहारा हो गए। तो क्या इन्हें टाला जा सकता था। मेरा जवाब हां ही है। बिल्कुल। कोशिश करते तो। केवल जेनेटिक कारणों से या अकस्मात किसी मेडिकल इमरजेंसी, एक्सीडेंट, सर्जरी वाली समस्या या मेडिकल सिचुएशन के कारण शरीर में कोई जटिलता हो गई है तो उस स्थिति को छोड़ दें। लेकिन शरीर, आयु, जीवनशैली के साथ सेहत का जो हाल हो रहा है और आगे होगा, उससे बचने का तरीका हमारे पास पहले से है – आयुर्वेद और भारत की प्राचीन महान चिकित्सा पद्दतियां व ज्ञान परंपराएं।

सोशल मीडिया में लाख बुराई है लेकिन सेहत को लेकर वहां अच्छी जानकारी देने वाले सोर्स भी हैं। आप याद करना कि हैल्थ को लेकर सही और उपयोगी बातें बताने वाले कितने वीडियो आप देखते हैं। कितनों के नाम आपको पता हैं या आप उन्हें पहचान सकते हैं। सोशल मीडिया पर केवल कमाई के हथकंडे अपनाने वालों को अपनी गिनती में न रखें।

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अपनी हैल्थ, लाइफ, स्प्रिचुअल फिलोस्फी को बनाने और उसे खुद पर लागू करने के लिए आपको किसी गुरु की भी जरूरत नहीं है। क्यों जरूरत है, आखिर क्या सीखना और पाना है। जो है, जितना जानते हैं, पहले उसे ही नियमित अपनाना शुरू करें। इसके बाद सीखने और आजमाने के दूसरे लेवल पर जाएं। वरना इतना ज्ञान बटोर लोगे कि इन्हें समझने में ही उलझ कर रह जाओगे। खुद की सेहत की चिंता इसलिए भी सस्ती हो गई क्योंकि आपने इससे जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए खुद कोई मेहनत नहीं की। ऑनलाइन ऑर्डर की तरह आपकी पैसे खर्च करने की आदत ने भी आपकी हैल्थ का बेड़ा गर्क किया है। यदि सेहत को आप खुद पालते-पोसते तो इसके बिगड़ने की चिंता भी उतनी ही करते जितनी अपनी कमाई से खरीदी कार के खरोंच आने पर करते हैं।

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बिना किसी संकोच से बताना चाहूंगा कि 21 वर्षों की सेहत साधना से मेरे भीतर इस विषय को लेकर विचारों, आत्मबोध का अलग संसार सा बन गया है। अब जब मैं इसे लिखकर व्यक्त करने की सोचता हूं तो शुरू से लेकर अंत तक भटकता जाता हूं। क्योंकि जैसे ही कुछ लिखता हूं तो उसे लेकर नया विचार प्रवाह शुरू हो जाता है। इसलिए यह भटकाव मेरी कमजोरी है। मैंने महसूस किया है कि किसी को बिना तैयारी के मौखिक संबोधन के दौरान मैं जितनी गहराई और उद्दरणों के साथ बताता हूं, उतना बेहतर लिख नहीं पाता। लेकिन लिखना भी जरूरी है क्योंकि बताने के अन्य तरीकों में माध्यम और तकनीक दोनों ही बहुत ज्यादा समय लेंगे। मैं इस समय को अपनी सेहत साधना पर ही खर्च करना चाहता हूं। और क्योंकि प्रचार, लोकप्रियता मेरा उद्देश्य नहीं है तो मैं इसकी परवाह भी नहीं करता। अभी मेरे लिए मेरे लिए पत्रकार साथी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। उनमें से यदि कुछ ने भी मूल भाव को समझ लिया तो मेरे लिए यही उपलब्धि होगी।

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स्पष्ट करना चाहता हूं कि हैल्थ, लाइफ, स्प्रिचुअल फिलोस्फी से जुड़ी बातें मेरे स्वयं के अनुभव, मेरी सेहत साधना पर आधारित है। इसलिए जरूरी नहीं कि ये आपके जीवन में भी ठीक उसी तरह से चरितार्थ या लागू हों या आपके लिए वही अनुभव हों जो मेरे रहे हैं। मैं निरंतरता के साथ गहराई से इनके अभ्यास से विशेष तरीके से जुड़ाव अनुभव करता आ रहा हूं। इसलिए मेरी बातों का सन्दर्भ, दिशा और ध्वनि दार्शनिकता लिए लगेंगी। लेकिन मेरा आग्रह यही है कि आपकी रुचि नहीं है, आपको इसमें कोई उपयोगिता या सार्थकता नहीं दिख रही है तो आप निसंकोच स्किप कर सकते हैं। मेरे लिए स्वयं को व्यक्त करने का यही जरिया है। आपका नजरिया भिन्न हो सकता है तो आप उसपर कायम रहें। यदि कोई एक अच्छी जानकारी, भावना, सोच, विचार, दृष्टि, दर्शन, जीवनशैली को अच्छा नहीं समझता है तो इससे मुझे क्या फर्क पड़ने वाला है। मैं तो अपनी सोच पर कायम हूं।

मैने जो हासिल किया है वह मेरे लिए अविश्वसनीय है और आगे के लिए जो भरोसा है, वो भी अविश्वसनीयता की दिशा में है। मेरी चिंता यही है कि मेरे हमउम्र लोगों के लिए उनकी सेहत के साथ अविश्वसनीय वाली स्थिति का समय निकल चुका है। अब केवल बिलीव और रिलीफ वाला समय शेष है। यदि इसे भी गंवा देंगे तो मेरे लिए अफसोस जताने वाली स्थिति ही होगी।