Katrua Vegetable: राजस्थान में सब्जियों की पैदावार ना भी हो तो बहुत विकल्प हैं। सुखी सब्जियों की भरमार वाला राजस्थान हर एक मौसम झेलता है। पीलीभीत के जंगलों में उगने वाली कटरुआ नामक सब्जी का स्वाद मटन से भी बेहतर माना जाता है. मानसून में उगने वाली इस सब्जी की कीमत 2000 रुपये प्रति किलो तक होती है. प्रतिबंधित होने के बावजूद, इसकी मांग दूरदराज तक है और लोग इसे शौक से खरीदते हैं. ऐसे लोग जो वेजीटेरियन हैं वह इस सब्जी का लुत्फ उठा सकते हैं.
तराई के जंगलों में साल के पेड़ों की जड़ में पाए जाने वाली कटरुआ नामक सब्जी को शाकाहारियों का मटन कहा जाता है. क्योंकि इस सब्जी को बनाने में गरम मसालों का उपयोग होता है ऐसे इस सब्जी का स्वाद खाने में हूबहू नॉन वेज जैसा लगता है.
जिससे पहले हम आपको कटरुआ नामक जंगली सब्जी के बनाने की विधि बताएं उससे पहले इस सब्जी की पैदावार, दाम और सीजन जैसी तमाम बातों को जान लेना भी जरूरी है. आपको बता दें कि यह सब्जी सीजन की शुरूआत में मटन के तीन गुना दामों में भी मिलती है.
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दरअसल यह जंगली सब्जी पीलीभीत टाइगर रिजर्व के घने जंगलों समेत तराई के सभी जंगलों में लगे साल के पेड़ों की जड़ों में उगती है. जब साल की जड़ों वाली जमीन पर बरसात का पानी पड़ता है तभी यह सब्जी उगती है. ऐसे में यह साल में लगभग 3 महीने ही खाने को मिलती है.
कटरुआ नामक यह सब्जी न केवल स्वाद में बल्कि पोषक तत्वों में भी नॉनवेज को टक्कर देती है. इस सब्जी को प्रोटीन का पावर हाउस भी कहते हैं. यही कारण है की सीजन की शुरुआत में यह सब्जी ₹2000 प्रतिकिलो तक बिकती है. वैसे तो यह सब्जी का सीजन जा चुका है लेकिन तमाम लोगों ने इसे स्टोर कर के रख रखा है.
इस जंगली सब्जी को पकाने से पहले इसे अच्छे से धोया जाता है. मिट्टी की परत को अच्छे से हटाने के बाद इसे दो या फिर चार टुकड़ों में काट कर रख लिया जाता है. इसके बाद लहसुन प्याज को गरम मसाले के साथ अच्छे से भून कर उसमें सब्जी को मिला दिया जाता है. कुछ देर पकाने के बाद यह खाने के लिए तैयार हो जाती है.