नई दिल्ली। आचार्य चाणक्य जिनका ज्ञान और नीतियां आज भी समाज में लोगों को मार्गदर्शन देती हैं। यदि उनकी नीतियों का जो भी अनुशरण करता है वह विपत्ति से आसानी से पार पा सकता है। और उसे समाज कऔर व्यक्ति को पहचाचने में काफी मदद मिल सकती है। आचार्य चाणक्य आज से सैकड़ों साल पहले जो सिद्धांत बना गए थे वे आज भी प्रासांगिक है और समाज को राह दिखाने के साथ अच्छे और बुरे की पहचान कराने वाले हैं।
आचार्य चाणक्य ने जो नीतियां बताई हैं वे ना केवल राजा को सफलता से राज्य चलाने का ज्ञान देने वाली हैं, बल्कि उनकी बताई नीतियां समाज के हर वर्ग और पूरे समाज के लिए हैं। यदि चांणक्य नीति को देखें तो उनकी नीतियां पति-पत्नी के सफल वैवाहिक जीवन के लिए भी है।
वैसे भी विवाह एक सामाजिक और आध्यात्मिक बंधन है, जिसमें पति और पत्नी जीवन की नई डगर पर चल कर सफल जिंदगी जीने की कोशिश करते हैं।
आचार्य चाणक्य वैवाहिक जीवन की सफलता के रास्ते पर ले जाने के लिए कई सुझाव दिए हैं। उनका मानना है पति पत्नी का वैवाहिक जीवन तभी सफल हो सकता है जब दोनों की उम्र में समानता हो। आचार्य चाणक्य का मानना है यदि पति की उम्र अधिक होगी तो वह शारीरिक रूप से कमज़ोर होगा और वह पत्नी को संतुष्ट नहीं कर सकता है, इसी लिए दोनों की उम्र में समानता होनई चहियर तभी दोनों का वैवाहिक जीवन सफल और सुखद होगा।
आचार्य चाणक्य का मानना है यदि अधिक उम्र के व्यक्ति से किसी कम उम्र की महिला की शादी होती है तो वह व्यक्ति कमजोर होगा और पत्नी को शारीरिक और मानसिक दृष्टि से संतुष्ट नहीं कर पाएगा, जिससे दोनों के बीच विग्रह और कलर बढ़ सकता है जो सफल वैवाहिक जीवन के रास्ते में रोड़ा होगा।
आचार्य चाणक्य कहते हैं यदि समान उम्र के पति पत्नी के बीच विवाह होता है तो वह एक दूसरे के विचारों को बेहतर समझ सकते हैं और उन में सामंजस्य अच्छा बन सकता है। वे एक दूरे की भावना को बेहतर समझ सकते हैं।
आचार्य चाणक्य यह भी कहते हैं की, यदि किसी वजह से पति पत्नी के उम्र में अंतर है तो भी पति और पत्नी को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। दूसरे एक दूसरे की भावनाओं की कद्र करनी चाहिए, तभी सफल वैवाहिक जीवन दोनों जी सकते हैं। अन्यथा दोनों के बीच कल होता रहेगा और जीवन नर्क के समान हो सकता है।