पशुपतिनाथ मन्दिर भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के मंदसौर जिले में स्थित एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदसौर नगर में शिवना नदी के किनारे स्थित है। पशुपतिनाथ की मूर्ति पूरे विश्व में अद्वितीय प्रतिमा है ये प्रतिमा इस संसार की एक मात्र प्रतिमा है जिसके आठ मुख है और जो अलग-अलग मुद्रा में दिखाई देते है इस प्रतिमा की भी अपनी कहानी है ।  मंदसौर के ही एक उदा नाम के धोबी द्वारा जिस पत्थर पर कपड़े धोये जाते थे, वही पत्थर भगवान पशुपतिनाथ की मूर्ति थी ! बताया जाता है कि एक दिन वह गहरी नींद में सो रहा था तो उसे स्वयं भगवान शंकर सपने में आये और उसे बोले कि तू जिस पत्थर पर अपने व लोगों के मेले कपड़े धोता है वही मेरा एक अष्ट रूप है ।

यह सुनकर उस धोबी ने सुबह अपने दोस्तों को यह बात बताई और सब ने मिलकर उस मूर्ति को नदी के गर्भ से बाहर निकाला । मूर्ति इतनी विशालकाय और भारी थी कि 16 बेलों की जोड़ी भी उसे खींचने में असमर्थ हो रही थी, पर लोगो की मदद से मूर्ति को निकाला गया ।  मूर्ति को नदी के उस कोने से इस कोने पर जब लाया जा रहा था तब एक चमत्कार हुआ मूर्ति उस कोने से इस कोने आ तो गई परन्तु मूर्ति को नदी से दूर एक उचित स्थान पर स्थापित करने बैलों की सहायता से ले जाया जा रहा था तो वह जैसे नदी से दूर जाना नहीं चाह रही थी जिस जगह आज मूर्ति स्थापित है वही जगह जहां से मूर्ति हिली ही नही।  आज उस जगह पर भगवान पशुपतिनाथ का विशालकाय मंदिर स्थापित है ।

Pashupati nath mandir

मूर्ति को निकालने के वक्त से लगभग 18 वर्षों तक मूर्ति की स्थापना नहीं हो पाई थी क्योंकि उस वक्त संसाधनों का बहुत अभाव हुआ करता था ।  कहा जाता है वहां के एक सज्जन पुरुष  शिवदर्शन अग्रवाल द्वारा मूर्ति को अपने बगीचे में संभालकर रखा गया था। भागवताचार्य श्री श्री 1008 स्वामी प्रत्यक्षानंद जी द्वारा मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई थी व बाद में ग्वालियर स्टेट की राज माता श्री विजयाराजे सिंधिया द्वारा एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया एवं मंदिर शिखर पर स्वर्ण कलश को स्थापित किया गया । महादेव श्री पशुपतिनाथ की मूर्ति को एक ही पत्थर पर बहुत ही आकर्षक तरीके से बनाया गया है ।