होली का त्योंहार पुरानी दुश्मनी को भूलकर फिर से रिश्ते जोड़ने का है। इस दिन सभी गले मिलकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। होली पर भाइयों में आपसी मन भेद भी दूर होते हैं। होली का त्योंहार पवित्र होता है। इस दिन बुराइयों का अंत होता है। होलिका दहन के साथ ही दूसरे दिन धुलंडी मनाई जाती है। होली जिस हिसाब से रंगों का त्योंहार है उसी तरह भाईचारे का भी त्योंहार है। भक्त प्रहलाद को पिता की क्रूरता से बचाने के लिए भगवान् ने नृसिंह अवतार लिया था। नृसिंह अवतार में भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध किया था।

होलिका दहन
जब हिरण्यकश्यप का वध हुआ तो प्रह्लाद की बुआ होलिका प्रहलाद को गोद में बिठाकर आगे के हवाले हो गई। इसमें भगवान ने प्रहलाद को तो बचा लिया और होलिका जल गई। बुराइयों पर अच्छाई की जीत में ही कई त्योंहार मनाए जाते हैं। हिन्दुस्तान में बहुत से ऐसे त्योंहार हैं, जिस दिन लड़े हुए भाई एक ही थाली में बैठकर खाते हैं।

धुलंडी

देवर और भाभी का रिश्ता पवित्र माना जाता है। ऐसे ही जीजा और साली का रिश्ता भी साफ़ होता है। इस दिन ये दोनों ही रिश्ते रंगों में रंगे होते हैं। ये इस दिन कितने में रंगीन हो सकते हैं। रंग लगाने के चक्कर में ये कितनी भी हदें पार कर लेते हैं। वैसे ये गलत है कि आप त्योंहार की आड़ में इतना सबकुछ कर लेते हो।