आपको पता होगा की शिवरात्रि का पर्व करीब आने वाला ही है। अतः देश भर के लोगों में काफी उत्साह नजर आ रहा है। हालांकि राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के लोगों में शिवरात्रि का उत्साह चरम पर होता है। आपको बता दें की यहां पर भगवान शिव अपने भक्तों को सालभर में सिर्फ चार माह ही दर्शन देते हैं। इसके बाद वे अंतर्ध्यान हो जाते हैं हालांकि आपको यह बात हैरान कर सकती है लेकिन यह बिलकुल सही और सत्य है। आइये अब आपको इस बारे में विस्तार से बताते हैं। ,

200 वर्ष पुराना है मंदिर

आपको जानकारी दे दें की राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की माही की अनास नदी के संगम स्थान पर 200 वर्ष पुराना शिव मंदिर है। इस मंदिर की खास बात यह है की सालभर में 7 से 8 महीने यह मंदिर लोगों की नजर से गायब रहता है। असल में इस मंदिर के गायब होने का कारण इसका पानी में डूब जाना है।

बता दें की प्रत्येक साल यह मंदिर 4 फिट पानी में डूब जाता है। यहां पर लोग दर्शन के लिए नाव से जाते हैं। हैरत वाली बात यह भी है की इतने समय पानी में रहने के बाद भी मंदिर को आजतक कोई हानि नहीं हुई है। कई लोग इसको ईश्वरीय चमत्कार कहते हैं तो कई लोग इसको दिव्य शक्ति मानते हैं। असल में गुजरात के कडाना बांध से पानी की आवक होने से यह मंदिर जलमग्न हो जाता है और लोगों को नजर नहीं आता है।

यहां स्थित है मंदिर

आपको बता दने की यह मंदिर संगमेश्वर महादेव नाम से काफी प्रसिद्द है। यह मंदिर राजस्थान में बांसवाड़ा से 70 कि.मी. दूर भैंसाऊ गांव में माही और अनास नदी के संगम स्थल पर स्थित है। प्रत्येक वर्ष जुलाई-अगस्त माह में यह मंदिर जलमग्न हो जाता है। इसके बाद फरवरी मार्च के माह में जल भराव कम होने पर मंदिर सभी लोगों को दिखाई देने लगता है। यह मंदिर ईंट-पत्थर और चूने से बना हुआ है और 200 साल पुराना है। बता दें की पिछले 50 साल से यह मंदिर जल में खड़ा है लेकिन इसको किसी प्रकार की हानि नहीं हुई है। संगम स्थल पर बने होने के कारण इसको संगमेश्वर महादेव का नाम दिया गया है।

नाविक ही कराते हैं पूजन

आपको जानकारी दे दें की इस मंदिर पर पूजन कराने का कार्य नाविक ही कराते हैं। नाव के जरिये ही लोगों को दर्शन के लिए मंदिर में ले जाया जाता है। कड़ाणा बांध का जलस्तर 400 फीट से कम होने पर इस मंदिर के दर्शन के लिए रास्ता खुल जाता है। मंदिर ईंट तथा पत्थरों से बना हुआ है और मंदिर के बाहर कुछ संतो की समाधियां भी बनी हुई हैं। लोग बताते हैं की पहले आमल्यी ग्यारस पर यहां मेला लगता था लेकिन पानी में डूबने के कारण यह मेला बंद हो गया है।