नई दिल्ली: यदि दिल में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो, तो मंजिलें खुद-ब-खुद आपकी तरफ दौड़ी चली आती हैं। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है दादा साहेब भगत ने। मात्र 80 रुपये में रोजाना कपंनी में छाड़ू पोछा लगाने वाले इस शख्स ने अपनी मेहनत और लगन से अपने हाथ की किस्मत की लकीर बदल दी। एक समय ऐसा था जब दादा साहेब इंफोसिस के दफ्तर में ऑफिस ब्वॉय का काम करते थे। लेकिन इस शख्स के सपने कुछ और थे। और इस सपने को पूरा करन के लिए उसनें इतनी मेहनत की, आज वो दो कंपनियों का मालिक है। इनकी मेहनत को देख खुद प्रधानमंत्री भी दादासाहेब की तारीफ करने में पीछे नही रहे। आईए आपको बताते हैं दादा साहेब भगत ने कैसे पाई सफलता
दादा साहेब भगत कौन हैं
दादासाहेब भगत की इस उड़ान के बारे में बात करें तो इनका जन्म 1994 में महाराष्ट्र के बीड में हुआ था। उन्होनें हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद पुणे से आईटीआई का कोर्स किया। इसके साथ ही पढ़ाई के साथ उन्होंने गेस्ट हाउस में सर्विस ब्वॉय के तौर पर नौकरी की। जहां पर वो लोगों को रूम सर्विस के साथ चाय-पानी देते थे। रूम में झाड़ू-पोछा, साफ-सफाई करने का काम करते थे। जिसके लिए उन्हें 80 रुपये रोजाना मिला करते थें।
नौकरी के साथ किया ग्राफिक्स डिजाइनिंग का कोर्स
दादा साहेब ने काम के साथ साथ पढ़ाई करने में कोई कसर नही छोड़ी, इसके बाद वो 2009 में शहर चले आए। उन्हें इंफोसिस कंपनी में काम मिल गया। ऑफिस ब्वॉय की नौकरी के` लिए उन्हें 9,000 रुपये की सैलरी मिलने लगी। इंफोसिस में काम करने के दौरान वो लोगो को कंप्यूटर में करना देखकर खुश हो जाते थे। जिसके बाद उनकी भी इसकी ओर इच्छा जागने लगी। उन्होंने इसी कपंनी पर काम करते करते कंप्यूटर और उसकी तकनीक से जुड़ी डिटेल को सीखना शुरू कर दिया। रात में ग्राफिक्स डिजाइनिंग और एनीमेशन की पढ़ाई करने लगे। इसके बाद C++ और Python का कोर्स किया।
ऐसे बदली किस्मत
दादा साहेब धीरे धीरे अपनी दिशा पकड़ ही रहे थे कि उनके साथ एक हादसा हो गया। एक्सीडेंट होन के चलते उन्हें शहर छोड़कर गांव जाना पड़ा। अपन काम को बनाए रखन के लिए एक लैपटॉप किराए पर लिया, ऑनलाइन टेम्प्लेट बनाकर उसे एक प्लेटफ़ॉर्म पर बेचना शुरू किया। इससे उनकी कमाई जमकर होन लगी। जिसके बाद दादा साहब ने साल 2016 में ख़ुद की Ninthmotion कंपनी शुरू कर दी।
आने लगे बड़े ऑफर
जब उनका काम तेजी से बढ़ने लगा तो, उन्होनें ऑनलाइन ग्राफिक्स डिजाइनिंग का नया सॉफ्टवेयर डिजाइन कर दिया। ये सॉफ्टवेयर कैनवा से काफी मिलती जुलता है। इस कंपनी का नाम रखा DooGraphics। इनके बढ़िया काम को देख बड़ी-बड़ी कंपनियां भी इनसे जुड़ने लगी। आज के समय वो दो कंपनियों के मालिक हैं। दादा साहेब की कंपनी अब दूसरी बड़ी कपंनियों को ग्राफिक टैम्पलेट बनाकर देती है। कंपनी मोशन ग्राफिक और 3डी टैम्पलेट भी बनाती है, उनके क्लाइंट देश से कही ज्यादा विदेशी हैं। दादा साहेब के पास आज खुद की ऑडी है।