नई दिल्ली। देश में तेजी से हो रही वृक्षों की कटाई को देखते हुए वृक्षारोपन करने के लिए सरकार जगह जगह पेड़ लगाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है। लेकिन किसी एक पेड़ के लिए सरकार की ओर से हाई लेवल सिक्योरिटी (High Leable Security)की  व्यवस्था दी जाए तो यह बात कुछ हजम सी नही होती है। लेकिन यह बात सच है कि मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रायसेन जिले में स्थित विश्वधरोहर सांची (Sanchi) अपने स्तूपों के लिए जानी जाती है, वही सांची के नजदीक ही भगवान बुद्ध (Gautam Buddha) की याद में बोधिवृक्ष लगाया गया है। जिसकी चौबीसों घंटे सुरक्षा के लिए लाखों रूपए खर्च किया जा रहा है।

रायसेन में लगा बोधिवृक्ष

यह बोधिवृक्ष बौद्ध धर्म मानने वालों की आस्था का केंद्र है। जो पर्यावरण संतुलन का भी अद्भुत संदेश देता है। बोधिवृक्ष हमेशा हरा-भरा रहे इसके लिए आसपास गार्ड तैनात किए हैं, जो उसकी निगरानी करते रहते हैं। यदि इस वृक्ष की एक पत्ती भी सूख जाती है तो नीचे से लेकर ऊपर तक विभाग में हलचल मच जाती है। हर 14-15 दिन में विशेषज्ञ इस वृक्ष का मेडिकल चेकअप करने आते हैं।

इस वृक्ष के इतना महत्वपूर्ण होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि इस बोधिवृक्ष को श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने साल 2012 में भारत आकर इस वृक्ष का रोपण किया था। बौद्ध धर्म अनुयायियों के लिए यह केवल कोई सामान्य वृक्ष नहीं बल्कि उनकी आस्था का प्रतीक है।

क्यों महत्वपूर्ण है बोधिवृक्ष

इस बोधिवृक्ष की खासियत यह हैं कि यह वीवीआईपी से भी बढ़कर अपना स्थान रखता है. सन 2012 में सांची में आयोजित भव्य समारोह में श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बोधिवृक्ष को रोपित किया था। जिसके बाद से ही इसे बौद्ध धर्म का यह एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है. बौद्ध मान्यताओं के मुताबिक इसी बोधिवृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को तत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इसीलिए बोधिवृक्ष का महत्वपूर्ण स्थान है.