आपको पता होगा ही की विवाह के बाद में पुरुष तथा स्त्री का जीवन एक दूसरे के साथ में जुड़ जाता है। ऐसे में दोनों को साथ में प्रत्येक कार्य में और प्रत्येक सुख दुःख में एक दूसरे का साथ निभाना होता है, तब ही जीवन सही तरीके से आगे की और बढ़ पाता है।

जीवन के बारे में आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में काफी कुछ बताया पति पत्नी के रिश्ते पर भी आचार्य चाणक्य के काफी नीतिवान बातों को अपनी पुस्तक “चाणक्य नीति” में लिखा है। इस पुस्तक के अनुसार किसी भी पत्नी को तीन चीजों के लिए पति को कभी मना नहीं करना चाहिए। ये तीन चीजें क्या हैं, इस बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बता रहें हैं।

हमेशा साथ दे पत्नी

आचार्य चाणक्य अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में कहते हैं की पति हमेशा घर के बाहर कार्य करता है। ऐसे में उसको जीवन के लिए संघर्ष करना पड़ता है। इस संघर्ष के दौरान पति के जीवन में सुख दुःख आते ही रहते हैं। अतः यदि पति किसी कारण से दुःखी होता है तो वह सबसे पहले अपनी पत्नी का सपोर्ट चाहता है। इस स्थिति में में पत्नी को चाहिए की वह अपने पति को अपनी सपोर्ट मुहैया कराये, उसका भरपूर साथ दे और हमेशा हर परिस्थिति में खड़ी रहें।

सुकून मुहैया कराये

पति का अधिकतर जीवन घर के बाहर काटता है। ऐसी स्थिति में उसके मन में कई प्रकार के विचार चलते रहते हैं और उसका मन अशांत रहता है। ऐसी स्थिति में पत्नी का कर्तव्य है की वह अपने पति को सुकून मुहैया कराये और उसके मन को शांत रखे। ऐसा न करने पर पति पत्नी के रिश्ते में कई बार बड़ी दरार आ जाती है।

प्रेम से करे संतुष्ट

आचार्य चाणक्य कहते हैं की पति पत्नी का रिश्ता तब ही सफल होता है। जब ये दोनों सुख दुःख में एक दूसरे का भरपूर साथ देते हैं। पत्नी का कर्तव्य है की वह अपने पति को प्रेम से संतुष्ट करे और उसकी इच्छा को पूरा करे। यदि पत्नी ऐसा करती है तो उसका जीवन सुखमय बना रहता है।