पूरी दुनिया में भारत को उसके स्वादिष्ट खाने के कारण जाना जाता है, और यहां के लोगों को तीखा खाना बहुत पसंद होता है। इसलिए हमारे घर में बनने वाले खाने में तीखापन लाने के लिए मिर्च का उपयोग किया जाता है।

भारत की मिर्च की डिमांड पूरी दुनिया भर में है जिसके कारण किसानों को मिर्च की अच्छी कीमत मिल जाती है। खासतौर पर गर्मियों में अपने ख़ाली खेतों में किसान इसको लगाकर अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं।

भारत में हरी और लाल मिर्च दोनों की खेती के लिए जाना जाता है। इसकी खेती करने के लिए 15 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त माना जाता है। इसके अलावा 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान होने पर इसके फूल एवं फल गिरने लगते हैं।

मिर्च की खेती सभी तरह की मिट्टी में हो जाती है। अच्छे जल निकास वाली एवं कार्बनिक युक्त बलुई-लाल दोमट मिट्टी मिर्च की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

ग्रीष्मकालीन मिर्च की नर्सरी कैसे डालें
मिर्च की खेती के लिए फरवरी-मार्च में पौधशाला में बीजों की बुआई करने का सही समय होता है। एक हेक्टेयर पौधे को तैयार करने के लिए 250 ग्राम व अन्य किस्मों के लिये एक से डेढ़ किलोग्राम बीज पर्याप्त हो जाता है। इसके अलावा कीटों की रोकथाम के लिए 2 ग्राम फोरेट 10 वर्गमीटर की दर से जमीन में मिलाएं या मिथाइल डिमेटोन 1 मि.ली./लीटर पानी या एसीफ़ेट 1 मि.ली./ लीटर पानी को पौधों पर छिड़काव करना होगा।

मिर्च की उन्नत किस्में
इन किस्मों में मिर्च की उन्नत प्रजातियाँ जैसे पूसा सदाबहार, पूसा ज्वाला, अर्का लोहित, अर्का सुफल, अर्का श्वेता, अर्का हरिता, मथानिया लौंग, पंत सी-1, पंत सी-2, जी-3, जी-5, हंगरेरियन वैक्स (पीले रंग वाली), जवाहर 218, आर. सी. एच.-1, एल. सी. ए.-206, बकाशी अनमोल, जवाहर मिर्च-283, काशी विश्वनाथ तथा संकर किस्म काशी अर्ली, काषी सुर्ख या काशी हरिता आदि प्रमुख किस्मे हैं। यदि आपको ग्रीष्म ऋतू में मिर्च की खेती करनी होती है तो इन किस्में का चुनाव करना चाहिए।

मिर्च के पौधे की रोपाई
मिर्च के पौधे की खेती करने से पहले खेत की अच्छे से तैयारी कर लेनी चाहिए। इन पौधों की रोपाई कतार से कतार की दूरी 60 सैमी की और पौधे से पौधे की दूरी 40 से 45 सेमी होनी चाहिए। यदि गर्मी के मौसम में मिर्च के पौधे की रोपाई कर रहे हैं तो शाम के समय ही पौधों को लगाएं। इस पौधे की सिंचाई को थोड़े पानी से ही करना चाहिए, जल भराव नहीं होना चाहिए इससे फंगस लगने का खतरा होता है। इसके पौधे की रोपाई के बाद गर्मी के मौसम में पानी 6 से 7 दिन के अंतर में करते रहें।