आकाश में उड़ने वाले जीव यानि की पक्षियों की इस पूरी दुनिया में 10,906 प्रजातियां है, इनमें से केवल 1,353 पक्षी प्रजातियों का घर भारत है। इनमें से कुछ पक्षी काफी ऊंची उड़ान भरते हैं।

इसमें से पहले नंबर पर चील और दूसरे नंबर पर बाज का नाम आता है। इसके अलावा इन दोनों पक्षियों की नजर काफी तेज होती है। जब वह ऊंचाई से उड़ान भरते हैं तो उसमें भी जमीन में बैठे अपने शिकार को आसानी से देख लेते हैं और उसका शिकार भी कर लेते हैं।

चील और बाज, दोनों ही शिकारी पक्षी हैं जो अपनी विशेषताओं और आवास स्थलों के कारण प्रकृति में एक अनूठी जगह रखते हैं। चील की विशेषता इसकी बड़ी और शक्तिशाली चोंच होती है।

चील और बाज के संरक्षण का महत्व भी बहुत अधिक है क्योंकि ये दोनों प्रजातियाँ पारिस्थितिकी तंत्र के लिए लाभकारी होती हैं, अपने आहार शृंखला में एक संतुलन बनाए रखती हैं। इनका संरक्षण और संवर्धन न केवल इन प्रजातियों के लिए, बल्कि हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन दोनों पक्षियों में काफी अंतर होता है और आज हम आपको इन दोनों पक्षियों के अंतर के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।

चील और बाज में अंतर
• चील का आकार बाज से बड़ा होता है और यही इन दोनों में मुख्य अंतर होता है। इस चील का आकार बड़ा होने से उसके पंख ज्यादा फैले होते हैं तो वहीं बाज के पंख चील से कम फैलते हैं।
• इन दोनों पक्षियों के बीच के शरीर के रंग के बारे में बात करें तो बाज का रंग ऊपर से लाल, पीला और नीचे से सफ़ेद होता है। तो वहीं चील के शरीर का रंग गोल्डन, ब्लैक, ग्रे या भूरे रंग की होती है।
• इन दोनों पक्षियों की चोंच में भी काफी अंतर होता है। इस बाज की चोंच काले रंग की होती है और चील की चोंच पीले या सफ़ेद रंग की होती है।
• इन पक्षियों के शिकार में भी अंतर पाया जाता है, बाज ज्यादातर खरगोश, चूहा आदि छोटे आकार के जीवों का शिकार करता है। तो वहीं चील सांप और मछली जैसे जीवों का शिकार करती है।