आप जानते ही होंगे की सांप एक ऐसा प्राणी है, जिसके सामने आते ही किसी भी आदमी के पसीने छूट जाते हैं। हालांकि सांप की बहुत सी प्रजातियां होती हैं। बहुत से सांप जहरीले नहीं होते हैं तो कुछ सांप बेहद जहरीले भी होते हैं।

सांपो के बारे में आज के विज्ञान ने काफी कुछ खोजबीन कर डाली है। जिसके आधार पर अब बड़ी संख्या में सांपो के बारे में पता लग सका है। इसी क्रम में आज हम आपको भारत के ऐसे चार सांपो के बारे में आपको बता रहें हैं। जो मौत का सबसे बड़ा कारण बनते हैं। आइये अब आपको इन चारों सांपो के बारे में विस्तार से बताते हैं।

पाई जाती हैं 343 प्रजातियां

सबसे पहले आपको जानकारी दे दें की हमारे देश में सांपो की कुल 343 प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन इनमें पाए जाने वाले ज्यादातर सांप विषहीन होते हैं। इन प्रजातियों में से मात्र 20 प्रतिशत सांप ही ऐसे होते हैं, जो जहरीले या कम विष वाले होते हैं।

लेकिन इन सांपो में चार प्रकार के सांप ऐसे भी होते हैं जिनसे 90 प्रतिशत मौते होती हैं। बता दें की सर्पदंश से भारत में प्रतिवर्ष 40 हजार मौतें होती हैं लेकिन इनमें से 36 हजार मौते इन चार सांपो के कारण से ही होती हैं, जिनके बारे में आज हम आपको बता रहें हैं। आइये अब आपको इन चारों के बारे में बताते हैं।

कोवरा सांप – कोबरा को गेहुवन सांप भी कहा जाता है। सबसे ज्यादा मौतों के कारणों में यह सांप नंबर 1 पर आता है। यह छिपकली तथा अन्य छोटे आकार के जीवो का भोजन करता है। ये सांप अन्य सांपो के मुकाबले काफी लंबा जीवन जीते हैं। इन्हें सूखे, भोजन की कमी तहा अन्य प्राकृतिक आपदाओं में काफी कम हानि होती है। इनमें काफी फुर्ती होती है।

रसेल वाइपर – इसको सुस्कार के नाम से भी जाना जाता है। यह एशिया में पाया जाने वाला विषैला सांप है। बंगाल में इसको चन्द्रबोरा के नाम से जाना जाता है। इसके शरीर पर चंद्रमा के सामान निशान पाए जाते हैं। जहरीले सांपो में अपना विशेष स्थान रखता है तथा सबसे ज्यादा सर्पदंश से होने वाली मौतों का कारण बनता है।

करैत सांप – यह कोबरा से भी 6 गुना ज्यादा जहरीला माना जाता है। यह सांप सोते समय भी मानव को काट सकता है। भारत के अलावा यह बांग्लादेश तथा दक्षिण पूर्व एशिया में यह पाया जाता है। देखने में यह पतला होता है लेकिन इसका छोटा सा घाव भी मानव को मौत की नींद सुला सकता है।

सॉशुरेकी वाइपर – यह अन्य वाइपर सांपो की तुलना में छोटा होता है लेकिन शुष्क तथा रेतीले क्षेत्रों में भी यह आसानी से रह सकता है। इसको अधिकतर गुजरात के समुद्र तटों पर देखा जा सकता है। चूहे, छिपकली जैसे जीवों को यह अपना भोजन बनाता है। सांप के काटने से होने वाली मौतों और सर्पदंश संबंधी विकलांगता के लिए ये सांप ही जिम्मेदार हैं।