नई दिल्ली। कहते है यदि मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कामयाबी भी आपके कदम चूमती है ऐसा ही उदाहरण बनकर साबित हुई जयपुर जिले की तीन बेटियां, जिन्होंने आर्थिक परेशानी के बाद भी अपने हौंसलों डगमगाने नही दिया और एक बड़ी सफलता हासिल करके अपना मुकाम हासिल कर दिखाया। और कृषि कॉलेज में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेट) परीक्षा में अपने-अपने वर्ग में शीर्ष पायदान पर जगह बनाई है।

राजस्थान में कृषि महाविद्यालयों में प्रवेश पाने के लिए आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा में इन तीन लड़कियों ने अपने-अपने वर्ग में अव्वल आकर छात्राओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा बनकर उभरी है। क्योकि ये वे छात्राएं है जिनके पास पढ़ी का नो तो कोई जरिया था। नाही कई सुविधा, लेकिन इसके बाद भी पूरी लगन से पढ़कर इन्होने अपना मुकाम हासिल किया है।

गांव रोजड़ी निवासी ममता गुर्जर ने इस परीक्षा एमबीसी वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। ममता के पास होने की कहानी इसलिए भी रोचक है क्योकि ममता के पिता रामलाल गुर्जर एक दिहाड़ी मजदूर हैं जो 12वीं तक पढ़े हैं जबकि मां निरक्षर है। ममता जब 11 साल की थी तो 2013 में उसकी शादी हो गई।

लेकिन ममता के दिल में पढ़ाई के प्रति लगन छुपी थी और उसने विपरीत परिस्थितियां आने के बाद भी अपनी पढ़ाई को जारी रखने का फैसला लिया। जिसके लिए ममता के माता-पिता ने तो साथ दिया ही ममता के ससुराल वालों ने पढ़ाई के लिए नही रोका। जिसके बाद ममता ने दसवीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल से की। पढ़ाई के साथ-साथ खेत पर काम करना, भैसों का दूध दुहकर रोज डेयरी पहुंचाने का काम करने के रात को पढ़ाई करने का समय मिलता था। लेकिन घर में पढ़ाई की सुविधा मे मिलने के चलते शिक्षकों ने केमिस्ट्री और बायोलॉजी लेने की अपेक्षा कृषि शिक्षा के बारे में बताया। जोबनेर के श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विवि. में पढ़ाई के लिए शिक्षक गिरधारी ने गाइड किया और ममता ने अपनी मेहनत के बलबूते पर प्रथम स्थान प्राप्त किया।
बेटी ने पाया मुकाम

एससी वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाली शालू कुमारी के पिता भले ही पढ़े लिखे नही है लेकिन बेटी ने विपरीत परिस्थितियों में अध्ययन कर पूरे राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। शालू ने बचपन से ही कृषि क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करने का सपना देखा था जो पूरा करके दिखाया। तीनों छात्राओं ने मेंटोर के मार्गदर्शन को सफलता श्रेय दिया।

पिता के जाने के बाद मां ने की मजदूरी

समीपवर्ती गांव डेहरा निवासी छात्रा सोनम वर्मा की कहानी भी बहुत रोचक है। जिन्होंने एससी वर्ग में चौथा स्थान प्राप्त किया है। सोनम के पिता सेवाराम वर्मा का कैंसर के चलते 2017 में निधन हो गया था।पिता के जाने के बाद सोनम की पढ़ाई पर इसका असर पड़ा। लेकिन सोनम ने हिम्मत नहीं हारी और 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद आगे की शिक्षा राउमावि. डेहरा से की। पिता की मृत्यु के बाद मां मजदूरी करती थी इतने संघर्ष के बाद भी सोनम ने अपनी मंजिल पूरी की, वह आईएएस बनना चाहती है।