नई दिल्ली: गाजीपुर में मुख्तार अंसारी का शव सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया। मुख्तार अंसारी के जनाजे में भारी भीड़ देखी गई। लेकिन मुख्तार अंसारी का इतिहास उठाकर देखें तो मुख्तार अंसारी का रुतबा और ख़ौफ़ कितना था यह आसानी से समझा जा सकता है। एक समय ऐसा भी था जब मुख्तार अंसारी सलाखों के पीछे थे और सारे नियम कानून को ताक पर रखकर मुख्तार की पत्नी अफशां हर दिन मुख्तार से मिलने जाया करती थीं। जानकार तो यह भी बताते हैं कि कई बार ऐसा भी हुआ है कि मुख्तार की पत्नी सलाखों के पीछे मुख्तार के साथ रहकर भी वापस लौटती थीं।

लेकिन समय के साथ सब कुछ बदलता है, और मुख्तार अंसारी का समय बदला तो ऐसा भी समय आया जब मुख्तार अंसारी का अंतिम दर्शन भी उनकी पत्नी अफ़शां को नसीब नहीं हुआ। मुख्तार अंसारी की पत्नी अफ़शां पर कई धाराएं लगी हैं। और उनका नाम पुलिस के वांछित अपराधियों की लिस्ट में दर्ज है। जो पत्नी साये की तरह मुख्तार के साथ रहती थी उसे मरने के बाद पति का अंतिम दीदार भी नसीब नहीं हुआ।

यह बात साल 2005 की है जब मुख्तार अंसारी सलाखों के पीछे थे तब अफशां ने अपने पति की विरासत को अपने हाथों में लेलिया। मुख्तार का गैंग  जिसे आईएस-191 के नाम से जाना जाता था उसकी कमान खुद सम्भाल ली। नतीजा यह हुआ कि अफशां के खिलाफ कुल 13 गम्भीर मुकदमे दर्ज हो गए। गाजीपुर पुलिस ने 50 और मऊ पुलिस ने 25 हजार रुपये का इनाम घोषित कर दिया। आज हालात यह है कि अफशां की गिरफ्तारी के लिए जनपद से लेकर राजधानी तक की पुलिस लगी है।