नई दिल्ली। प्रदेशों में महंगाई से राहत दिलाने के लिए जनता के लिए महंगाई राहत कैम्प लगाए जा रहे है। जिसमें सरकारी स्कूलों के शिक्षकों की भागीदारी का होना आवश्यक है। इस संबंध में अब सारे शिक्षक इसका कड़ा विरोध करते हुए इसे निरस्त करने की गुहार लगा रहे है। शिक्षक संघ का कहना है कि राज्य द्वारा जारी की जाने वाली ये सभी 10 योजनाओं में से एक भी शिक्षा विभाग से संबंधित योजना नहीं है, ऐसे में इन शिविरों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाना उनकी समझ से बाहर है।

गौरतलब है कि प्रशासन गांव गांव में महंगाई राहत कैंप के विशेष काउंटर लगा रहे हैं। इस अभियान के तहत 11 हजार 283 ग्राम पंचायतों और शहरों के संग अभियान में 7500 वार्ड में वार्डवार महंगाई राहत शिविर लगेंगे। इसके अलावा 2 हजार स्थायी शिविर 24 अप्रेल सेशुरू होकर 30 जून तक होंगे। जिससे स्कूल के शिक्षकों की ड्यूटी इसी तरह से काम करते खत्म हो जाएगी। जिससे गर्मी के दिनों में उन्हें कोई राहत नही मिलेगी।

यह उचित नहीं,करेंगे विरोध

महंगाई राहत कैम्प में शिक्षकों की ड्यूटी का लगाना काफी दुर्भावना पूर्ण निर्णय माना जा रहा है। क्योकि इस चिलचिलाती गर्मी में शिक्षकों को दूर-दराज अभावग्रस्त इलाको में सेवा देने के लिए जाना होगा। पूरी गर्मी ड्यूटी देने के बाद शालाओं के खुलने से उन्हे फिर कोई अवकाश नही मिलेगा। जिसको लेकर शिक्षक गुस्सा भी जता रहे है।

विरोध मेंआए शिक्षक

अधिकतर शिक्षक दूर-दराज जिले से आए हुए होते है। उन्हें घर जाने का मौका इन गर्मियों की छुट्टियों में ही मिलता है। इन दिनों शिक्षक विद्यालय में कई तरह की आयोजित होने वाली परीक्षाओं में भी अपनी ड्यूटी दे रहे थे, साथ ही 30 अप्रेल तक उन्हें परीक्षा परिणाम भी जारी करना है। इतना ही नही अधिकतर शिक्षकों के पास कक्षा 10वीं और 12वीं की अभ्यास पुस्तिकाएं जांचने का कार्य भी दिया गया था। राजस्थान शिक्षक और पंचायतीराज कर्मचारी संघ का कहना है ऐसे में शिक्षको को मंहगाई राहत कैम्प में शामिल करना उचित नहीं है। यह राजस्व विभाग का कार्य है और इस विभाग के अधीन शिक्षकों को लगाना सही नहीं है।

शिक्षकों की अवाज

सभी कार्यालय और विभाग में वर्किग डे पांच दिन का होता है। लेकिन विद्यालय में शनिवार को भी कार्यदिवस होता है। और राजस्थान में अधिकतर शिक्षक अलवर, भरतपुर, करौली गंगानगर आदि जिलों के हैं, जो शिक्षक शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन अवकाश के समय ही अपने घर जाते हैं। जिसे बंद कर दिया गया है।