स्त्री मानव जाति का एक ऐसा अंग है। जिसको समझना हमेशा से बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। कई स्थानों पर स्त्री को रहस्यमयी भी बताया गया है। चाणक्य नीति ने भी स्त्री को समझना बेहद कठिन कहा गया है। हालांकि समाज में स्त्री को बेहद ऊंचा दर्जा दिया गया है लेकिन देखा गया है कि कई बार स्त्री के साथ में दुर्व्यवहार भी होता है। प्रकृति ने स्त्री को सौम्य तथा ममता की मूरत बनाया है। स्त्री के इन गुणों को भी अनजर अन्दाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन आपको बता दें कि प्रत्येक स्त्री के गुण धर्म अलग होते हैं। अतः सभी स्त्रियों को एक जैसा नहीं समझना चाहिए।

आचार्य चाणक्य ने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में स्त्री सम्बंधित कुछ ऐसी बातों का वर्णन किया है। जिनका विचार करने तथा उनको आचरण में उतारने पर कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में धोखा नहीं खा सकता है। आचार्य चाणक्य ने कुछ संकेत दिए हैं। जिनको जानकर कोई भी व्यक्ति चरित्रहीन स्त्री को पहचान सकता है तथा स्वयं के चरित्र की रखा कर सकता है। आज हम आपको इन संकेतों के बारे में ही यहां बता रहें हैं।

कोई भी व्यक्ति अपने स चरित्र को अपने जीवन के अनुभवों, संस्कारों तथा अपने व्यक्तित्व के आधार पर बनाता है। इस चीज को आप स्त्री तथा पुरुष दोनों में देख सकते हैं। यदि आप चरित्रहीन या चरित्रवान व्यक्ति की पहचान करना चाहते हैं तो आपको उसके साथ संबंध बनाने होते हैं तथा समय का निर्वहन करना होता है। इसी तरह स्त्रियों के चरित्र को परखने उनक साथ रिश्ता बनाना तथा उनसे संवाद करना आवश्यक होता है। जिससे व्यक्ति के मन में समझ तथा विश्वास पैदा हो सके।

चाणक्य नीति में जीवन के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया गया है। जीवन में शांति, समृद्धि तथा उन्नति के मार्गों के बारे में विस्तार से बताया गया है। स्त्रियों के संबंध में भी आचार्य चाणक्य ने बहुत दूरदर्शी बातों को बताया है। हमें समाज दूसरे पर विश्वास करना चाहिए तथा एक दूसरे का सहयोग भी करना चाहिए ताकी हम सभी साथ में समृद्ध तथा सुखी जीवन व्यतीत कर सकें।