Wednesday, December 31, 2025
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High Court का बड़ा फैसला, लिव-इन रिलेशनशिप वाले पढ़ लें ये लेटेस्ट अपडेट, बिना शादी जोड़ों को सुरक्षा देने से कोर्ट ने किया इनकार

नई दिल्ली। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने लड़के लड़की के संबंध के दौरान बन रहे रिश्तों को लेकर जिनमें से खास इन दिनों अब आम बन चुका‘लिव-इन’ रिलेशनशिप (Live in Relationship) जैसे रिश्ते को लेकर इसे अस्थाई रहने वाला रिश्ता बताया है जो केवल कुछ दिनों तक ही टिका रह सकता है। इन रिश्तों का कोई भविष्य नही होता है।

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कोर्ट ने कहा लिवइन रिलेशनशिप को लेकर कहा है कि जब तक जोड़ों की शादी नहीं होती तब तक नाम देने को तैयार न हो। अदालत ने यह भी कहा कि लिव-इन रिश्ते “अस्थायी और नाजुक” हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर लिव-इन रिलेशनशिप को वैध ठहराया है, हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की कम उम्र और साथ रहने में बिताए गए समय पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या यह सावधानीपूर्वक विचार किया गया निर्णय था।

कोर्ट ने कहा कि जीवन फूलों की सेज नहीं, जिसे किसी भी तरह का नाम देदिया जाएं बल्कि यह एक बहुत ही महत्वूर्ण और मुश्किल समय होता है। कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को वैध ठहराया है, लेकिन 20-22 साल की उम्र में दो महीने तक साथ रहने वालों के लिए, हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि यह जोड़ा सक्षम हो पाएगा।

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इस प्रकार के अस्थायी संबंधों पर गंभीरता से विचार करना जरूरी है। अदालत ने आगे टिप्पणी करते हुए कहा कि लिव-इन रिश्ते “अस्थायी और नाजुक” होते हैं जो आगे चलकर “टाइमपास” में बदल जाते हैं। “जिंदगी गुलाबों की सेज नहीं है। हमारा अनुभव बताता है कि इस तरह के रिश्ते ज्यादातर टाइमपास, अस्थायी और नाजुक होते हैं जो कुछ समय साथ रहकर टूट जाने वाले होते है।, इस तरह, हम किसी भी तरह की सुरक्षा देने से बचते हैं।

कोर्ट ने इस तरह के रिश्ते पर सवाल तब उठाए जब एक दंपति ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए एक याचिका दायर की थी और भारतीय दंड संहिता की धारा 366 के तहत महिला की चाची द्वारा पुरुष के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। चाची ने महिला की मां पर दावा करते हुए केस दर्ज कराया था।

चाची ने महिला के साथ रहने वाले आदमी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि वह “रोड-रोमियो और आवारा” था जिसका कोई भविष्य नहीं था और वह उसकी भतीजी की जिंदगी बर्बाद कर देगा। उन्होंने बताया कि उस व्यक्ति का नाम पहले से ही यूपी गैंगस्टर एक्ट की धाराओं के तहत एक एफआईआर में दर्ज किया गया था।

हालांकि, महिला ने अपनी उम्र (20) का हवाला देते हुए कहा कि उसे अपना भविष्य तय करने का अधिकार है। उसने आगे तर्क दिया कि उसके पिता ने इस मामले में कोई दखलअंदाजी नही की है।

दोनों पक्षों की बात के सुनने के बाद स पर विचार करने के बाद अदालत ने फैसला सुनाया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दी गई दलीलें एफआईआर रद्द करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं हैं।

इसमें यह भी कहा गया है कि जब तक जोड़े ने शादी करने और अपने रिश्ते को नाम देने या एक-दूसरे के प्रति अपनी ईमानदारी दिखाने का फैसला नहीं किया, तब तक वह “इस तरह के रिश्ते पर कोई भी राय व्यक्त करने से बचते हैं”।

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Pratibha Tripathi
Pratibha Tripathihttps://www.tazahindisamachar.com/
पत्रकारिता के क्षेत्र 25 वर्षों का अनुभव। patrika.com जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड में सभी बीट पर उत्कृष्ट कार्य किया। यहां मुझे कार्यों के साथ डिजिटल मीडिया के अन्य पार्ट की भी जानकारी मिली। प्रतिभा त्रिपाठी tazahindisamachar.com में आने से पहले राजस्थान पत्रिका डिजिटल की एंटरटेनमेंट और बॉलीवुड की कॉन्टेट राइटर रही हैं। म.प्र में रहने वाली प्रतिभा त्रिपाठी लगभग एक दशक से फुल टाइम एंटरटेनमेंट बीट में कॉन्टेट राइटर के रूप में काम कर रही हैं। tazahindisamachar.com डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ने से पहले प्रतिभा राजस्थान पत्रिका के आलावा 4रियल न्यूज चैनल, डीजीबज,एबीपी जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ी थीं। प्रतिभा के नाम पर कई बेहतरीन, अच्छी तरह से सराही गई स्टोरीज भी रही हैं। एक कॉन्टेट राइटर के रूप में उनके काम को व्यापक रूप से सराहा और पसंद किया गया है। उन्हे हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं पर अच्छी कमांड है।
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