नई दिल्ली। आपने देखा होगा कि हमारे घर में शादी, पूजा या जन्मदिन के साथ साथ पूजा के विधि विधान तक के खास अवसर पर हम जब भी पैसा देते है। तो हमेशा 11,21,51, 101 या 501 रुपये ही देते हैं। हम हमेशा 1 रूपे के सिक्के को हमेशा जोड़कर ही देते है पर क्या आप जानते है कि इस 1 रुपये के सिक्के का हिंदू धर्म में क्या महत्व है?

शगुन हो या दान पैसों को देते समय एक रुपये अतिरिक्त क्यों जोड़ा जाता है? चलिए ज हम बताते है इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण के बारे में.. विवाह शगुन में 1 रुपये का महत्व इसलिए है क्योकि 1 रुपए के सिक्के को जोड़ देने से संख्या अभाज्य बन जाती है। जैसे 501 या 2001 आदि। इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि जिस शादीशुदा जोड़े को यह शगुन दिया जा रहा है उसका रिश्ता भी अटूट बना रहता है। बंटता नही है।

दान देते समय 1 रूपए के सिक्के का उपयोग क्यों किया जाता है

1 रुपये का सिक्के का महत्व

कई मान्यताओं के अनुसार 1 रुपए के सिक्का हमारे जीवन में उन्नति के रास्ते खोलता है। ऐसे में शगुन में एक रुपए का सिक्का देने का मतलब होता है कि हम उस व्यक्ति की आर्थिक उन्नति चाहते हैं। इसके साथ ही कुछ जगहों पर इस सिक्के को निवेश का प्रतीक भी माना जाता है।

 मां लक्ष्मी की बनी रहती है कृपा 

हिंदू धर्म में धातु के सिक्के में देवी लक्ष्मी का वास होता है। ऐसे में शगुन में धातु का सिक्का रखने से जिस व्यक्ति को यह शगुन दिया जाता है उस पर हमेशा देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। यह मंहत्व केवल सिक्के में ही देखने को मिलेगा 1 रूपए के नोट में नही इसलिए दान करते वक्त सिक्के का ही उपयोग करना चाहिए।

1 रुपये का सिक्का जोड़ना शुभ

कई मान्यताओं के अनुसार शून्य को शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि हम किसी रिश्तेदार को शून्य के आधार पर शगुन देते हैं तो हम उनसे रिश्ता खत्म करना चाहते हैं। वहीं 1 रुपये का सिक्का देने का मतलब है कि हमारा रिश्ता भविष्य तक हमेशा के लिए बना रह सकता है।

पुराने नोट और सिक्के खरीदने और बेचने से पहले आरबीआई की गाइडलाइन जरूर पढ़ें। किसी के झांसे में ना आएं और एडवांस पैसे मांगने वालों से सावधान रहें।