नई दिल्ली। राजस्थान में जैसे जैसे विधानसभा चुनाव 2023 नजदीक आ रहा है टिकिट मिलने को लेकर उथल पुथल मचना शुरू हो गई है। इसी बीच राजस्थान सरकार भी उन लोगों को टिकिट देने की घोषणा की है जिसकी पकड़ मैदान में मजबूत हो, ऐसे में एक सीट इन दिनों काफी चर्चा में बनी हुई है। जिसके लेकर पति पत्नि के बीच दरार तक पैदा हो गई है। यह सीट है सीकर की दांतारामगढ़ विधानसभा सीट। जिसको लेकर पति-पत्नी के बीच चुनावी जंगी देखने को मिल सकता है।
रीटा ने 2018 में मांगा था कांग्रेस से टिकट
बता दें कि स सीट के दावेदार वीरेंद्र सिंह है जो राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सात बार विधायक रह चुके नारायण सिंह के बेटे हैं। वहीं उनकी बहू यानि की रीटा सिंह ने 2018 में कांग्रेस पार्टी से दांतारामगढ़ सीट से टिकट मांगा था, लेकिन पार्टी ने उन्हें सीट ना देकर उनके पति वीरेंद्र सिंह को उम्मीदवार बना दिया। इसके बाद से ही दोनों के बीच विवाद शुरू हो गया था। सीकर जिला प्रमुख रहीं रीटा टिकिट ना मिलने के वाबजूद भी अपने क्षेत्र में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने में जुटी रहीं।
जेजेपी ने किया रीटा को उम्मीदवार घोषित
बताया जा रहा है रीटा सिंह ने इस बार फिर कांग्रेस से इस क्षेत्र के लिए टिकट मिलने को लेकर अप्रोच किया था, लेकिन इस बार भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी। जिसके बाद उन्होंने हरियाणा में मजबूत पकड़ रखनेवाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ समझौता कर लिया। जेजेपी ने अब उन्हें दांतारामगढ़ से उम्मीदवार घोषित कर दिया है।
इस बार हो रहे चुनाव में जहां नारायण सिंह अपने बेटे के समर्थन में प्रचार प्रसार कर रहे हैं, तो वही उनकी बहू डॉक्टर रीटा सिंह अपने दम पर इस मैदानी जंग को अकेले संभाल रही है। अब इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर पति या पत्नी में किसका पलड़ा भारी रहता है।
