आज से कुछ समय पहले की बात करें तो बकरी पालन को अच्छा नहीं माना जाता था। लोगों का मानना था की जो गाय या भैंस नहीं पाल सकता है वही बकरी पालता है। खासकर पंजाब प्रदेश के किसान लोग बकरी पालन करना अच्छा नहीं मानते थे लेकिन आज उसी पंजाब में लोग शान से बकरी पालते नजर आते हैं।

आपको बता दें कि पंजाब में बकरी की एक ऐसी नस्ल है। जो गाय भैंस से भी ज्यादा दुधारू है। अन्य प्रदेशों के लोग भी अब इस नस्ल की बकरी को पजाब से ले जाकर अपने यहां पाल रहें हैं। आपको बता दें कि इस बकरी की इस नस्ल को बीटल कहा जाता है। इस नस्ल की बकरियों के बारे में गुरु अंगददेव वेटनरी विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. इन्द्रजीत सिंह कई खूबियां बताते हैं।

कारोबार तथा घर के कार्य के लिए वेहतरीन है बीटल नेसल की बकरी

डॉ. इन्द्रजीत सिंह बताते हैं कि बीटल नेसल की बकरी प्रतिदिन 5 लीटर दूध प्रदान करती है। जब की देशी गाय प्रतिदिन ओसतन 2.5 लीटर दूध ही देती है। गाय को प्रतिदिन 7 से 8 किलो चारा चाहिए होता है जब की बकरी को मात्र 2 किलो चारा ही काफी होता है। बीटल नस्ल की बकरी सालभर में दो बार बच्चे देती है तथा एक बार में 2 से 3 बच्चे देती है जब की गे इसके मुकाबले कहीं नहीं ठहरती है।

खर्च भी आता है कम

यदि कोई परिवार दूध के लिए इस नस्ल की बकरी को पाल लेता है तो इस बकरी के पालने में खर्च भी कम ही आता है। दूसरी ओर यदि कोई इसके दूध के व्यापार के हिसाब से इसको पालता है तो इससे लाभ भी गाय की अपेक्षा अधिक ही आता है। आज के समय में बकरी के दूध की डिमांड भी काफी है तथा उसकी कोई कीमत तय नहीं है। लोग डेंगू के इलाज में बकरी के दूध को काफी मोटी कीमत पर खरीद रहें हैं। पंजाब में एक एक किसान के कई बकरी फ़ार्म हैं तथा ये लोग इनसे अच्छी कमाई भी कर रहें हैं।