इस वर्ष 26 दिसंबर को त्रिपुर भैरवी जयंती मनाई जाएगी । इस दिन भक्त देवी भैरवी की पूजा-अर्चना करते हैं तथा उनकी कृपा और आशीर्वाद की कामना करते हैं। इस दिन कई लोग मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं तथा दान भी करते हैं। माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा उपासना करने से मनुष्य को सफलता, धन संपदा प्राप्ति के साथ सभी भव बंधन दूर हो जाते हैं। माँ त्रिपुर भैरवी की जयंती के दिन पूजा, मंत्र जप, हवन यज्ञ आदि कर्म करने से प्रसन्न होकर माता सारे दुख, क्लेश नष्ट हो जाते हैं।

मां काली का स्वरूप

माता त्रिपुर भैरवी मां काली का स्वरूप मानी जाती हैं। यह महाविद्या की छठी शक्ति मानी जाती हैं। त्रिपुर का अर्थ है तीनों लोक, और भैरवी का संबंध काल भैरव से है। भयानक स्वरूप और उग्र स्वाभाव वाले काल भैरव भगवान शिव के विकराल अवतार हैं, जिनका संबंध विनाश से है। त्रिपुर भैरवी का स्वरूप मां काली से मिलता-जुलता है। माता की चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। उनके बाल खुले हुए रहते हैं। इनका दूसरा नाम षोडशी भी है। त्रिपुर भैरवी को रूद्र भैरवी, चैतन्य भैरवी, नित्य भैरवी, भद्र भैरवी, कौलेश भैरवी, श्मशान भैरवी, संपत प्रदा भैरवी आदि नामों भी जाना जाता है।

उत्पत्ति की कथा

एक बार मां काली की इच्छा हुई की वह दोबारा अपना गौर वर्ण प्राप्त कर लें। यह सोचकर वह अपने स्थान से अंतर्धान हो गईं। मां काली को अपने पास न देखकर भगवान शिव चिंतित हो जाते हैं। तब वे देवऋषि नारद जी से उनके विषय में पूछते हैं। तब नारद जी कहते हैं कि माता के दर्शन सुमेरु के उत्तर में हो सकता है। शिवजी की आज्ञा से नारद जी सुमेरु के उत्तर में मां काली को खोजते हैं। जब वे मां के पास पहुंचते हैं तो उनके समक्ष शिवजी के विवाह का प्रस्ताव रखते हैं। इससे मां काली नाराज हो जाती हैं और उनके शरीर से षोडशी विग्रह प्रकट होता है। उससे छाया विग्रह त्रिपुर भैरवी प्रकट होती हैं।

पूजा का लाभ

1. त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से व्यापार या करियर में वृद्धि होती है।

2. सौभाग्य, आरोग्य, सुख की प्राप्ति होती है।

3. मनोवांछित वर या कन्या से विवाह के लिए भी इनकी पूजा की जाती है।

4. माता त्रिपुर भैरवी के भक्तों को मुक्ति प्राप्त होती है।