ग्रहों को अनुकूल बनाने के लिए ज्योषी रत्नों को धारण करने की भी सलाह देते है। ऐसा मान्यता है कि रत्न आपके जीवन का रंग भी बदल सकते है लेकिन कुछ रत्न ऐसे है जिन्हें धारण करने के पहले ज्योतिषीय सलाह लेना आवश्यक है। इन्हीं में एक रत्न शामिल है नीलम। नीलम के बारे में कहा जाता है कि यह रत्न यदि आपके अनुकूल हो तो आपको रंक से राजा भी बना देता है लेकिन बगैर कुंडली दिखाए या सलाह से आपने नीलम पहन लिया तो हो सकता है कि आपकी बर्बादी भी होना शुरू हो जाए। इसलिए सावधान रहिए।

ज्योतिष शास्त्र कहता है कि अगर किसी व्यक्ति के ऊपर शनि की महादशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रकोप हो तो उसे नीलम रत्न धारण करना चाहिए। विशेष रूप से कुंभ और मकर राशि के लोगों को नीलम धारण करने का अतिरिक्त लाभ पहुंचता है। कुंडली में शुभ शनि होने पर भी नीलम रत्न पहनना अच्छा माना जाता है।

नीलम शनि देव की पहली पत्नी हैं

नीलम शनि देव की पहली पत्नी हैं और नीलम रत्न शनि देव के माथे पर विराजमान होता है। ऐसे में जो लोग नीलम धारण करते हैं उन पर शनि देव की कृपा और क्षमा दृष्टि बनी रहती है और व्यक्ति को शुभ प्रभाव देखने को मिलता है।

दो से तीन दिन बाद ही प्रभाव

नीलम रत्न नीलम रत्न शनि ग्रह से संबंधित होता है। नीलम रत्न को धारण करने के दो से तीन दिन बाद ही प्रभाव दिखने लगता है।

नीलम के अशुभ प्रभाव

अगर तीन चार दिन आपको रात में अच्छे सपने आएं तो निश्चित ही नीलम आपको अच्छा फल देगा। इसके विपरीत अशुद्ध नीलम से शरीर को कष्ट होता है, गरीबी आती है और बहुत सारे दुश्मन पैदा हो जाते हैं। इसके अलावा नीलम का उपरत्न भी नीलम धारण करने से पहले कुछ समय के लिए धारण करना चाहिए। यदि विपरीत परिस्थितियां बने तो नीलम अशुभ माना जाएगा।