नई दिल्ली: इन दिनों हर जगह शादी की शहनाइयों से गली मुहल्ला गूंज रहा है। इस शादी के सीजन में हमारे हिंदू धर्म में बड़ी ही धूमधाम के साथ शादी की जाती है। जिसमें दो जोड़े का मिलन ऐसा होता है कि पूरी जिदंगी पति और पत्नी इस रिश्ते को प्यार और विश्वास की डोर से बाधें रखते है। लेकिन यह बात हर की जानना चाहता है कि इस रिति की शुरूआत कब से हुई थी कौन था पहला शख्स जिसने धरती पर पहली शादी की थी और विवाह की ये परंपरा कैसे शुरू हुई. अगर आपके मन में भी यह प्रश्न उठ रहा है तो चलिए जानते है इसके बारे में कि विवाह परंपरा और कैसे शुरू हुई थी।

भगवान ब्रह्मा ने रचाई सृष्टि

हिंदू धर्म की पौराणिक गाथाओँ के अनुसार सृष्टि का निर्माण ब्रह्मा से हुआ था। सृष्टि को रचाने के लिए भगवान ब्रह्मा ने अपने शरीर के दो टुकड़े किए थे और इन दो टुकड़े में से एक को “का” नाम दिया गया और दूसरे टुकड़े को “या” नाम दिया गया। इस तरह ये दोनों टुकड़े मिलकर काया बन गए और इसी काया से पुरुष और स्त्री का जन्म हुआ।

ये थे पहले शादीशुदा

काया से जो दो तत्‍व बने जिसमें पुरुष तत्व को स्वयंभू मनु नाम दिया और स्त्री को शतरूपा नाम दिया गया। इस तरह हिंदू धर्म की मान्‍यताओं के मुताबिक, मनु और शतरूपा को ही पृथ्वी का पहला मानव माना गया है। जब ये दोनों धरती पर एक-दूसरे से मिले तो भगवान ब्रह्मा से इन्‍हें पारिवारिक ज्ञान और संस्कार की प्राप्ति हुई और इस तरह उन्‍होंने दांपत्य जीवन में आने का ज्ञान मिला।

ऐसे बने विवाह के नियम 

धार्मिक पुराणों की माने तो विवाह में होने वाले संस्कारों की शुरुआत श्वेत ऋषि के द्वारा की गई थी। जिसमें उन्‍होंने विवाह परंपरा, सिंदूर, मर्यादा, महत्व, मंगलसूत्र, नियम और सात फेरों जैसे रीति-रिवाजों सम्मलित किया।  उनके द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करके पति और पत्नी दोनों एक सूत्र में बंध गए।