नई दिल्ली : हमारे सनातन धर्म में रोज सुबह और शाम देवी-देवता की पूजा करना वर्जित माना गया है। जिसमें दीपक जलाना काफी शुभ होता है। इसलिए हर घर से लेकर मंदिर तक में भक्त सुंबह शाम भगवान की आरती अराधना करना नही भूलते है। लेकिन क्या आप जानते है कि भगवान के सामने जलाई जाने वाली आरती को करन के भी कुछ नियम है। यदि सही तरीके से आरती नही की गई तो तो आपके द्ववारा की गई आराधना कभी पूरी नहीं हो सकती है। इसलिए दीपक जलाने से पहले जान लें इसका सही तरीका

दीपक जलाने के नियम

ऐसी मान्यता है कि जब भी आप भगवान की पूजा करने जाएं तो आरती की थाली में पहले रोली से स्वास्तिक बनालें और उसके बाद उसमें पुष्प अर्पित करें और फिर दीपक रखें।

आरती करने से पहले और बाद में शंख बजाना जरूरी होता है।

आरती करते वक्त कोशिश करें कि कि थाल को आप हमेशा ॐ वर्ण के आकार में घुमाएं।

भगवान की आरती करते वक्त अपने आराध्य के चरण की ओर चार बार, नाभि की तरफ दो बार और अंत में एक बार मुख की तरफ जरूर घुमाए, इस पूरी प्रकिया को कुल सात बार दोहराएं।

आरती का दीपक जलाने के बाद उसमें दुबारा से बाती या कपूर रखकर ना जलाएं. यदि मिट्टी का दिया हो तो उसे बदल कर नया दीया लें, और अगर दीपक धातु का बना हो तो उसे मांज-धोकर ही दोबारा इस्तेमाल करें।

आरती कभी भी बैठकर ना करें। यदि आप बीमार है या शारीरिक रूप खड़े होने में असमर्थ हैं, तो ईश्वर से क्षमा याचना करते हुए बैठकर आरती की क्रिया को पूरा कर सकते हैं।

पूर्व दिशा और दक्षिण दिशा में आरती की लौ दिखाने का महत्व

कहा जाता हैं कि जब भी आरती करें तो एक बार पूर्व दिशा की ओर आरती की लौ दिखाएं इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा दक्षिण दिशा में भी लौ दिखाएं। इससे यम और पितरों खुश हो जाते है। और व्यक्ति की अकाल मृत्यु नही होती है।