नई दिल्ली: गर्मी के दिनों में पसीने से राहत पाने के लिए लोग पंखे कूलर या फिर एसी का सहारा लेते है। अक्सर घरों में कूलर ज्यादा देखने के मिलते है जिसकी ठंडी हवा पाने के बाद लोग यहां से हटना पंसद नही करते है। कूलर की हवा से ठंडाहट तो मिलती है लेकिन हमेशा कूलर की हवा में रहना आपके शरीर के लिए घातक भी हो सकता है। क्योकि कूलर से निकलने वाली आवाज से दिमाग में बहुत खींझ पैदा होती है। दूसरा कूलर के पानी से निकली वाष्प आसपास के वातावरण में नमी के साथ ह्यूमिडिटी पैदा करती है जिसके कारण बहुत ज्यादा उमस बनने लगता है. इसके अलावा कूलर का लगातार इस्तेमाल कई बीमारियों को बढ़ा सकता है.

कूलर में ज्यादा रहने के नुकसान

1. कूलर उमस वाले मौसम में काम नहीं आता है।नमी के मौसम में उमस को और अधिक बढ़ा देता है। उमस तब होती है जब हवा पानी का वाष्प ज्यादा मिला रहता है। तब दोनों मिलकर आसपास हवा में नमी को बढ़ा देती है जिससे उमस और बढ़ जाती है।

2.डेंगू-मलेरिया का खतरा-

कूलर में पानी जमा रहने से मलेरिया और डेंगू के लार्वा के पनपने की आशंका ज्यादा होने लगती है. जब कूलर चलता है तब ये लार्वा हवा के साथ पूरे घर में फैल जाते हैं और ये मलेरिया और डेंगू के मच्छर बन जाते हैं. इस तरह यह डेंगू और मलेरिया का कारण बन सकता है।

3.अस्थमा मरीजों को दिक्कत-

जो लोग अस्थमा से पीड़ित हैं उनको इसकी हवा से परेशानी और अधिक बढ़ सकता है। अस्थमा मरीजों को ऐसी हवा चाहिए जिसमें ज्यादा नमी ना हो,और कूलर से निकली हवा में आद्रता होती है। इसलिए अस्थमा की समस्या को बढ़ा सकती है। हालांकि कूलर से किसी को अस्थमा नहीं होता.

4.बंद कमरे में नमी

जिस कमरे में वेंटीलेशन न हो, वहां कूलर की हवा से नमी ज्यादा हो जाती है।  जिसके कारण रूम में ह्यूमिडिटी और बढ़ जाती है। इसलिए कूलर खुले घर में या बरामदे पर ज्यादा काम करता है

5. मांसपेशियों में खिंचाव-

कूलर की हवा ज्यादा देर तक रहने से मांसपेशियों के साथ मसल्स में खिंचाव होने लगता है जिससे थकान के साथ साथ आलस भी आने लगता है। इसलिए ज्यादा देर तक कूलर में न रहें।