नई दिल्ली: भारत के लोग अपने काम को असान बनाने के लिए ऐसे कारनामे कर जाते है जिसके देख वैज्ञानिक भी हैरान हो जाते है। फिर चाहे बात आटा पीसने की चक्की की हो, या फिर की शानदार इल्क्ट्रीक बाइक बनाने के की। इतना ही नही हमारे देश में कुछ कलाकारों नें तो खटिया को भी एक गाड़ी का रूप देकर आने जाने का बड़ा साधन बनाकर एक बड़ा कारनामा कर दिखाया है।

ऐसा ही एक देसी जुगाड़ गांव के युवक ने करके पूरे गांव को बिजली से रोशन कर दिया है। अब इस गांव को 24 घंटे मुफ्त बिजली मिल रही है। इस बिजली को तैयार करने का श्रेय ऐसे युवक को जाता है जिसने बिना किसी संसाधन के अपने देसी जुगाड़ से खुद ही बिजली का उत्पादन शुरू कर दिया है। वह गांव के लोगों को 24 घंटे तक मुफ्त बिजली देने का काम कर रहा है। अब उसका यह देसी जुगाड़ सरकार द्वारा सम्मानित होने के योग्य है। इस जुगाड़ से उसने ऐसा कारिश्मा कर दिखाया है कि देखने वाले भी हैरान हो रहे। इस जुगाड़ के सामने बड़े-बड़े इंजीनियरों भी चकित हो रहे है।

कैसे किया इतना बड़ा कारनामा

एक 28 साल के युवक ने अपने इस देसी जुगाड़ में साइंस का उपयोग करके यूट्यूब की मदद से टरबाइन तकनीक सीखी। इसके बाद टरबाइन स्थापित करने के लिए गांव के ढलानवाली जगह पर एक गड्ढा खोदा। इस तरनीक की सहायता से उसने गांव में 24 घंटे तक मुफ्त बिजली पाने में सफलता प्राप्त कर ली।इन सभी चीजों को करने में उसे लगभग 12 हजार रुपये का खर्च आया। इससे 2500 बॉट की बिजली उत्पन्न होती है।

शानदार बनाया प्रोजेक्ट

अब कमिल के द्वारा बनाए गए इस प्रोजेक्ट को देखकर हर कोई हैरानी व्यक्त कर रहा है। कि  पहाड़ी इलाकों में जहां बिजली का पहुंचाना बहुत मुश्किल होता है, वही कमिल ने अपने स देसी जुगाड़ से इस समस्या को भी हल कर दिखाया है। अफसर इसका मूल्यांकन करके अब ऐसे ही टरबाइन अन्य गांवों में लगाने की योजना बना रहे हैं।

बता दें कि साइंस से इंटर पास कमिल धनबाद के बीसीसीएल में पैथोलॉजी के टेक्नीशियन हैं। उन्होनें इस प्रोजक्ट को तैयार करने की कला पुस्तकों को पढ़कर सीखी थी। कि किस तरह से पानी के दबाव से टरबाइन से बिजली उत्पन्न की जा सकती है। उन्होने इसी आधार पर काम किया है।

अब मिली सफलता

कमिल ने पहले इसके लिए यूट्यूब पर टरबाइन बनाने का तरीका सीखा। 2014 में उन्होंने इस प्रोजेक्ट को शुरू किया। फिर उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर गांव के पास कच्चा बांध बनाया और ऑयरा झरिया नदी का पानी रोक दिया। इसके बाद करीब उन्होंने लगभग 100 फीट की गहराई का गड्ढा खोदकर उसमें टरबाइन स्थापित किया।