नई दिल्ली। अब देश के बच्चों का भविष्य रट्टू तोता पढ़ाई से हटकर हो इसके लिए अब नई शिक्षा नीति को लाने पर विचार चल रहा है। इस नई शिक्षा नीति के आने के बाद से 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के पाठ्क्रम में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि अब साल में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा जो एक बार होती थी उसे हटाकर अब बोर्ड परीक्षाएं दो बार होंगी। दोनों एग्जाम में से जिसमें स्टूडेंट ज्यादा नंबर लाएंगे, उसे गिना जाएगा।

यह फैसला बुधवार को हुई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बैठक में लिया गया। जिसमें नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत बोर्ड परीक्षाओं का नया ढांचा तैयार किया गया है। जिसके बाद से साल 2024 के शिक्षा सत्र में किताबें में भी इसी के हिसाब से बदलाव किए जाएंगे। शिक्षा मंत्रालय द्वारा नए पाठ्यक्रम ढांचे की घोषणा  में कहा गया है कि कक्षा 11 और 12 के छात्रों को दो भाषाएं पढ़नी होंगी और उनमें से कम से कम एक भारतीय होनी चाहिए।

इस नए पैटर्न को लाने का मकसद है कि बच्चों का ध्यान कोचिंग और रट्टा मारने से कही ज्यादा विषयों को समझने में बना रहे। माना जा रहा है कि जल्द राज्यों के बोर्ड इस बारे में निर्देश जारी कर सकते हैं। उधर, तमिलनाडु और केरल की सरकारों ने पहले ही नई राष्ट्रीय नीति को लागू करने से मना कर दिया है। कर्नाटक भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।

11वीं-12वीं के स्टूडेंट्स को पढ़नी होंगी दो भाषाएं

अब 11वीं और 12वीं के स्टूडेंट्स को दो भाषाएं पढ़नी होंगी। जिसमें विद्यार्थियों को अपने मनमुताबिक सब्जेक्ट चुनने की छूट दी जाएगी।

किताबों का सिलेबस होगा कम , कीमतें भी घटेंगी

शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि ऐकेडमिक सेशन 2024 के लिए किताबों में भी बदलाव किया जा रहा है। किताबों में अब भारी-भरकम सिलेबस ना रखकर काफी कम किया जाएहा। और इसी के साथ किताबों की कीमतें भी कम की जाएंगी। नया सिलेबस न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2020 को ध्यान में रखकर तैयार की जाएगी।

क्यों होगें दो बार एग्जाम?

दो बार बोर्ड परीक्षाओं को रखने का मकसद है कि बच्चे अपनी तैयारियों का मूल्यांकन खुद कर सकेंगे।

अब बच्चों को एक ही सब्जेक्ट  को सालभर रटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसलिए नई किताबें भी तैयार कराई जा रही हैं।

इस नीति से बच्चे की समझ और योग्यता का मूल्यांकन करने की दक्षता बढ़ेगी। विषयों की गहरी समझ और उसका व्यवहारिक कौशल सशक्त होगा।

कला-विज्ञान के अलावा भी नए विषय चुन सकेंगे

बच्चों को आर्ट, साइंस या कॉर्मस के अलावा नए विषय चुनने का मौका मिलेगा। नए विषय भविष्य की जरूरतों के अनुसार होंगे। स्कूल बोर्डों को ऑन डिमांड परीक्षा कराने की क्षमता विकसित करनी होगी।