गूलर पेड़ के फल और जड़ में कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह पेड़ भारतीय जंगलों में पाया जाता है और उसके प्रतिबिंबित फलों को कई
ये गूलर का पौधा बहुत ज्यादा काम आता है इसलिए इसको आयुर्वेद में हकीम का सरदार कहा जाता है। बता दें कि इस पेड़ के फल के साथ ही इसकी छाल व दूध, तना, फूल सभी का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है। तो चलिए अब आपको बताते हैं कि इस पेड़ से आपको क्या-क्या लाभ मिलते हैं।

गूलर के पौधा में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट गुणों, एंटी पायरेटीक, एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी माइक्रोबियल, एंटीडायबिटीक गुण पाये जाते हैं। इसका सेवन करने से हमें डायबिटीज, लीवर,डिसऑर्डर, बवासीर, डायरिया, फेफड़ों की बीमारी ल्युकोरिया ,नेत्र रोग, डायरिया, पाइल्स नकसीर, शारीरिक कमजोरी, महिलाओं में होने वाली ब्लीडिंग , आंख -कान दर्द सहित कई अन्य बीमारियों में कारगर है।

पाचन को सुधारना: गूलर के फल में उच्च मात्रा में फाइबर्स होते हैं, जो पाचन को सुधारने में मदद करते हैं और कब्ज को दूर करते हैं।

मधुमेह के लिए लाभकारी: गूलर के फल में मधुमेह को नियंत्रित करने में मदद करने वाले विशेष अणु होते हैं। यह रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

श्वासनली संबंधी समस्याओं का समर्थन: गूलर के फल का सेवन श्वासनली संबंधी समस्याओं जैसे कि आस्थमा और खांसी में लाभकारी हो सकता है।

रक्तचाप को नियंत्रित करना: गूलर के फल में पोटैशियम की अच्छी मात्रा होती है, जो उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।

जड़ का उपयोग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए: गूलर की जड़ का उपयोग विभिन्न शारीरिक और मानसिक समस्याओं में समर्थन के लिए किया जाता है, जैसे कि जोड़ों के दर्द, बुद्धि को तेज करना, और तनाव को कम करना।

जीर्ण रोगों का समर्थन: गूलर की जड़ का प्रयोग विभिन्न जीर्ण रोगों जैसे कि डायबिटीज, आर्थराइटिस, और अल्जाइमर्स जैसे रोगों के समर्थन में किया जाता है।