घटना मध्य प्रदेश के खरगोन के चोली गांव से सामने आई है। इस गांव को देवो की नगरी या देवगढ़ भी कहा जाता है। माना जाता है की इस गांव में देवताओं का वास है अतः बहुत से साधु, सन्यासी तथा तपस्वी यहां पर तप करने आते रहते हैं। इसी गांव में द्वारकापुरी महाराज भी विगत कई वर्ष से तपस्या में लीन है।

उन्होंने दावा किया है की उन्हें देवी ने दर्शन दिए हैं। आपको बता दें की द्वारकापुरी महाराज कई सालों से इसी गांव में देवी अर्पणा की तपस्या कर रहें हैं। द्वारकापुरी महाराज ने दावा किया है की 10 से 11 साल पहले उन्हें देवी ने साक्षात दर्शन दिए थे लेकिन वे उस समय उन्हें पहचान नहीं पाए थे और देवी उनके सामने से अचानक ओझल हो गई थीं।

इस प्रकार से हुए देवी दर्शन

तपस्वी द्वारकापुरी महाराज ने इस बारे में खुलासा करते हुए कहा की एक दिन वे दोपहर के समय अपने आश्रम पर तपस्या में लीन थे। भोजन का समय था, उसी समय एक बालिका भोजन की थाली लेकर उनके पास आई। बाबा ने उस बच्ची से पूछा की वह कहां रहती है तो बच्ची ने कहा की वह सामने ही रहती है।

बाबा ने हैरानी से कहा की सामने तो सभी बड़े बच्चे रहते हैं और मैंने तुम्हे कभी नहीं देखा। बाबा के इतना कहते ही बालिका आश्रम से बाहर चली गई। जब बाबा उसके पीछे गए तो बालिका उनकी आंखों से ओझल हो चुकी थी। जब बाबा अंदर आये तो भोजन की थाली भी गायब हो चुकी थी। बाबा का कहना है की वह कोई साधारण बालिका नहीं बल्कि देवी थीं, जो उन्हें दर्शन देने आई थीं।

तंत्र का गढ़ है यह गांव

आपको बता दें की चोली गांव महेश्वर तहसील के अंतर्गत आता है। यह गांव 64 योगिनी, 52 भैरव, साढ़े ग्यारह हनुमान, गौरी सोमनाथ और सबसे ऊंची नृत्य मुद्रा में गणेश प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। निमाड़ अंचल में वसा यह गांव तंत्र विद्या का गढ़ माना जाता है। इसी कारण इसको मिनी बंगाल भी कहा जाता है। गुप्त नवरात्री में इस गांव में बहुत से तंत्र साधक तथा तपस्वी सिद्धियां प्राप्त करने के लिए आते रहते हैं।