नई दिल्ली : 500 वर्ष बाद आखिरकार भगवान राम को अपनी जन्मभूमि में फिर से विराजमान होने का समय आ गया है। पूरी अयोध्या नगरी अपने प्रभु राम के विराजमान करने के लिए 22 जनवरी तक लगातार जाप-मंत्रो के साथ पूजा-अनुष्ठान में लगी हुई है। अयोध्‍या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले कुछ खास नियमों का पालन किया जा रहा है।  जिसमें सबसे पहले प्रायश्चित पूजा की जानी है।

आज यानी मंगलवार को सुबह 9:30 बजे से प्रायश्चित पूजा की शुरुआत होगी, जो करीब 5 घंटे तक चलेगी। इस पूजा को 121 ब्राह्मण संपन्न कराएंगे। इस प्रायश्चित पूजन से ही रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा की शुरुआत की जाएगी। ब हर की यह जानना चाहता होगा कि आखिरकार यह प्रायश्चित पूजा क्यों की जा रही है तो बताते है इसे पीछे के कारण के बारे में..

क्‍यो की जाती है प्रायश्चित पूजा?

प्रायश्चित पूजा के करने का आशय यह होता है कि मूर्ति और मंदिर बनाते समय  जो छेनी, हथौड़ी का उपयोग करके मूर्ति को ढाला जाता है उसके लिए, इस पूजा में उसका प्रायश्चित किया जाता है और इसके साथ ही प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा कराई जाती है। प्रायश्चित पूजाा के पीछे का मूल कारण यह भी है कि पूजा में बैठे यजमानों से जो भी पाप जाने अनजाने में हुए हो, उसका प्रायश्चित किया जाए. दरअसल, हम लोग कई प्रकार की ऐसी गलतियां कर लेते हैं, जिसका हमें अंदाजा तक नहीं होता, यह पूजा के पहले का एक शुद्धिकरण होता है. यही वजह है कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रायश्चित पूजा की जाती है।

प्रायश्चित पूजा मतलब और भावना

दरअसल, प्रायश्चित पूजा में शारीरिक, आंतरिक, मानसिक और बाह्य इन तीनों तरीके का प्रायश्चित किया जाता है। धार्मिक जानकारों और पंडितों की मानें तो वाह्य प्रायश्चित के लिए 10 विधि स्नान किया जाता है.। इसमें पंच द्रव्य के अलावा कई औषधीय व भस्म समेत कई सामग्री से स्नान किया जाता है। इतना ही नहीं, एक और प्रायश्चित गोदान भी होता है और संकल्प भी होता है। इसमें यजमान गोदान के माध्यम से प्रायश्चित करता है।कुछ द्रव्य दान से भी प्रायश्चित करते है, जिसमें स्वर्ण दान भी शामिल है।