नई दिल्ली। आज हम चांद की उस सतह तक पहुंच गए है जहां दूसरा कोई देश नही पहुंच पाया है। चांद में पहुंचने के बाद लोग वंहा की सारी जानकारी ले रहे है। कि चांद की इस सतह  पर जीवन संभव है या नही। लेकिन जिंस धरती पर रहकर आप चांद में जाने की सोच रहे है उस धरती पर भी अब संकट के बादल मंडराते नजर आ रहे हैं।

पृथ्वी ग्रह पर रहने वाले इंसानों ने पृथ्वी में मौजूद पानी का इतना दोहन किया कि पृथ्वी अब पूर्व की ओर झुक गई है। इस बात को जानकर आपको हैरानी ज़रूर होगी लेकिन वैज्ञानिकों ने सर्च में पता लगाया है कि इंसानों के कारण पानी से एक तिहाई ढकी पृथ्वी अब पृथ्वी पूर्व की ओर झुक गई है।

क्या है रिसर्च?

पृथ्वी और अंतरिक्ष पर पड़ने वाले प्रभावों से संबंधित, जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में छपी एक खबर में रिसर्चर ने दावा किया है कि पृथ्वी पर रहने वाले इंसान अब अपनी सुविधा के लिए धरती के भीतर इतनी बोरिग करके पानी निकाल रहे है कि पृथ्वी के भीतर का भूजल स्तर काफी घट चुका है कि, महज 20 सालों में धरती 4.36 सेंटीमीटर/प्रतिवर्ष की स्‍पीड से करीब 80 सेंटीमीटर पूर्व की ओर झुक गई है।

धरती के भीतर से अब तक कितना पानी निकाला गया?

यदि वैज्ञनिकों की माने तोकिए गए रिसर्च से यह बात सामने आई है, हमारी धरती के जलवायु मॉडल से अनुमाकन लगया गया था कि धरती पर रहने वालों ने साल 1993 से 2010 तक कुल 2,150 गीगाटन ग्राउंडवॉटर बाहर निकाला है, जो समुद्र के जल स्तर से 6 मिलीमीटर अधिक होगा। वैसे जानकार इसे सही नहीं मान रहे हैं, क्योंकि जानकर मानते हैं कि इस विषय में सही अनुमान लगाना नामुमकिन होगा।

सबसे ज्यादा कहां हुआ भूजल का दोहन?

इस पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में सबसे ज्यादा अंडर वाटर का उपयोग 2 क्षेत्रों में ज्यादा किया गया है जिनमें अमेरिका का पश्चिमी इलाका और भारत का उत्तर पश्चिमी क्षेत्र भारत में पंजाब और हरियाणा का नाम सामने आया हैं। बताया जा रहा है जहां सबसे ज्यादा अंडर वाटर निकाला गया है।

सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों की माने तो इस तरह से लगातार हो रहे वॉटर के दोहन से धरती के घूमने के कारण धरती के ध्रुवों पर होने वाले बहाव पर अत्यधिक असर पड़ा है।