नई दिल्ली। महाभारत का युद्ध दो भाइयों के बीच की लड़ाई के लिए जाना जाता है। जहां पर राजपाट के मोह से ग्रसित पिता ने अपने बेटे को अनहित करने से भी नही रोका। जिसका परिणाम यह हुआ कि यह युद्ध कौरवों और पांडवों के भयंकर युद्ध का कारण बन गया। जिसमें ना जाने कितने बेकसूर लोग भी इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। इस युद्ध के कुछ पात्र तो ऐसे भी है जिनके बल को देख एक बार तो खुद भगवान कृष्ण को भी पांडवों की जीत हासिल करने में शंका होने लगी थी। इस युद्ध में एक ऐसा भी योद्धा था जिसकी मृत्यु भले ही पांडवों के हाथों हुई लेकिन मौत से पहले और मौत से बाद उसकी गाथाओं को लोग आज भी याद करते है।

जिस योद्धा के बारे में हम आज बताने जा रहे है। उसकी कहानी जन्म से ही अद्भुत थी। क्योकि इस बच्चे ने एक मां से नही बल्कि दो मा के पेट से जन्म लिया था। ये बात आज के समय में बहुत हैरान कर देने वाली है। लेकिन यह सच है कि महाभारत ग्रंथ के अनुसार जरासंध का जन्म दो माताओं की कोख से हुआ था। आइए जानते हैं क्या है राज

यह बात मगध के एक राजा बृहद्रनाथ के राज की है  जिनकी दो रानियां थी,जिनसे वो काफी प्यार करते थे  लेकिन दो रानियों से उन्हें संतान का सुख प्राप्त नही हबो रहा है। स बात से हताश होकर वो ऋषि चंद्रकौशिक के आश्रम में उनकी सेवा करने चले गए। दिन रात की सेवा को देख ऋषि ने प्रसन्न होकर उन्हें एक सेब दिया और रानी को खिलाने को कहा।

राजा ने उस सोब को काटकर अपनी दोनों रानियों के बीच बांट दिया। आधा आधा सेव खाकर दोनों रानियां गर्भवती हुईं।

जब बच्चे के पैदा होने का समय आया तो दोनों रानियों के गर्भ से आधे-आधे बच्चे को जन्म दिया। आधे जन्में बच्चे को देख दोनों रानियां घबराकर और उसे जंगल में फेंक आईंं।

जंगल में पड़े इन बच्चो को एक जरा नाम की जादूगरनी ने देख लिया और उन्हें अपनी जादू से जोड़कर एक कर दिया।  जब इस बात की भनक राजा बृहद्रनाथ को लगी तो उन्होने तुंरत बच्चे को हासिल करके बच्चे का नाम उसी जादूगरनी के नाम पर ‘जरासंध’ रख दिया। और यही वह जरासंध है जिसने भीम के साथ 28 दिनों तक युद्ध किया था और अंत में भीम  के हाथों से मारा गया। महाभारत के युद्ध में भीम ने जरासंध के शरीर के दो टुकडे करके अलग-अलग दिशाओं में फेंके थे।